Move to Jagran APP

सावधान! डायबिटीज मरीजों के लिए बुरी खबर, तो नहीं मिल पाएगी ये जीवनरक्षक दवा

अगर इंसुलिन के उत्पादन में वृद्धि नहीं की गई तो अगले 12 साल में दुनिया के चार करोड़ डायबिटीज से पीड़ित लोगों को मर्ज की रोकथाम के लिए यह जीवनरक्षक औषधि नहीं मिल पाएगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 09:55 AM (IST)
सावधान! डायबिटीज मरीजों के लिए बुरी खबर, तो नहीं मिल पाएगी ये जीवनरक्षक दवा
सावधान! डायबिटीज मरीजों के लिए बुरी खबर, तो नहीं मिल पाएगी ये जीवनरक्षक दवा

नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। अगर इंसुलिन के उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि नहीं की गई तो अगले 12 साल में दुनिया के चार करोड़ टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को मर्ज की रोकथाम के लिए यह जीवनरक्षक औषधि नहीं मिल पाएगी। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लैंसेट डायबिटीज एंड इंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट आगाह करती है कि यदि लोगों ने अपनी जीवनशैली और खानपान में तेजी से बदलाव नहीं किया तो टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित इंसुलिन जरूरतमंदों की संख्या 2030 में 7.9 करोड़ हो जाएगी। इनमें से आधे को यह दवा सुलभ नहीं होगी।

loksabha election banner

भारत के लिए खतरे की घंटी
टाइप 2 पीड़ितों और इंसुलिन के जरूरतमंदों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए डायबिटीज फेडरेशन और 14 अन्य अध्ययनों से आंकड़े जुटाए गए। सभी टाइप 2 पीड़ितों को इंसुलिन की जरूरत नहीं पड़ती है। 2018 में दुनिया भर में इसके पीड़ितों की संख्या 40.6 करोड़ थी। 2030 में 51.1 करोड़ होने का अनुमान है। इनमें से आधी से ज्यादा संख्या चीन, भारत और अमेरिका जैसे तीन देशों की होगी।

अमीरों की भी पहुंच से बाहर
धनाड्य देशों में भी लोग इंसुलिन की किल्लत महसूस करने लगे हैं। अमेरिका में इसकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। वहां के सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने जांच की मांग की है।

बढ़ेंगे मरीज
अगले 12 साल के दौरान बढ़ती आयु, शहरीकरण और खुराक में बदलाव के साथ शारीरिक गतिविधियों में कमी के चलते दुनिया भर में टाइप-2 डायबिटीज के रोगी तेजी से बढ़ेंगे।

जरूरत में इजाफा
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 12 वर्षों में इंसुलिन की जरूरत 20 फीसद बढ़ जाएगी। हालांकि संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य है कि गैर संचारी रोगों के इलाज के साथ ही सबको डायबिटीज की दवाएं मिलना सुनिश्चित हो, लेकिन बढ़ती जरूरत से यह लक्ष्य पीछे छूटता दिख रहा है।

जरूरी है जागरूकता
डायबिटीज वाले व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है। हम जो खाना खाते हैं, वह पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है। उस ऊर्जा को हम ग्लूकोज कहते हैं। खून इस ग्लूकोज को हमारे शरीर के सारे सेल्स (कोशिकाओं) तक पहुंचाता है, परंतु ग्लूकोज को हमारे शरीर में मौजूद लाखों सेल्स के अंदर पहुंचाना होता है। यह काम इंसुलिन का है। इंसुलिन हमारे शरीर में अग्नाशय (पैन्क्रियाज) में बनता है। इंसुलिन के बगैर ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश नहीं कर सकता।

भारत में चिंताजनक स्थिति

  • 1980 में भारत में 1.19 करोड़ डायबिटीज के मरीज थे। 2016 में इनकी संख्या 6.91 और 2017 में 7.2 करोड़ हो गई।
  • 1980 के मुकाबले 2014 में डायबिटीज पीड़ित महिलाओं की संख्या में 80 फीसद बढोतरी हुई है। (4.6 फीसद से 8.3 फीसद)
  • पिछले 17 साल में ये देश में सबसे तेजी से बढ़ती बीमारी है।
  • 2030 तक देश में 15 करोड़ डायबिटीज मरीज होने का अंदेशा है।
  • देश में डायबिटीज से सालाना 51,700 महिलाओं की मौत होती है।
  • 2030 तक देश में होने वाली मौतों का सातवां प्रमुख कारण डायबिटीज होगा।

क्‍या है डायबिटीज
डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।वीडियो में हम आपको बता रहे हैं डायबिटीज के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।

जरूरी है जागरूकता
डायबिटीज वाले व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है। हम जो खाना खाते हैं, वह पेट में जाकर ऊर्जा में बदलता है। उस ऊर्जा को हम ग्लूकोज कहते हैं। खून इस ग्लूकोज को हमारे शरीर के सारे सेल्स (कोशिकाओं) तक पहुंचाता है, परंतु ग्लूकोज को हमारे शरीर में मौजूद लाखों सेल्स के अंदर पहुंचाना होता है। यह काम इंसुलिन का है। इंसुलिन हमारे शरीर में अग्नाशय (पैन्क्रियाज) में बनता है। इंसुलिन के बगैर ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश नहीं कर सकता।

डायबिटीज के प्रकार

टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्‍था में अचानक इन्‍सुलिन के उत्‍पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्‍सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्‍स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्‍लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्‍सुलिन के इंजेक्‍शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।

टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्‍यादातर लोगों का वजन सामान्‍य से ज्‍यादा होता है या उन्‍हें पेट के मोटापे ककी समस्‍या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्‍सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्‍सरसाइज, बैलेंस्‍ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।

इसका भी रखें ध्‍यान
डायबिटीज रोगियों के लिए शाकाहारी होना फायदेमंद हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि सब्जी, फल, साबुत अनाज और फलियां जैसे पौधों से मिलने वाले आहार से टाइप-2 डायबिटीज रोगी ग्लाइसेमिक और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण को बेहतर कर सकते हैं। इससे वजन भी कम हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इस तरह का आहार ग्लाइसेमिक नियंत्रण और हृदय को सेहतमंद बनाए रखने में लाभकारी होता है। ऐसा आहार निम्न संतृप्त वसा और उच्च फाइबर होने के साथ ही फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होता है।

डायबिटीज के रोगी क्या करें, क्या न करें

  • अब बात करेंगे कि डायबिटीज के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। डायबिटीज के रोगियों को एक डेली रूटीन बनाना बहुत ही जरूरी है।
  • सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  • व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए।
  • सुस्त जीवनशैली के बजाए सक्रिय जीवन शैली अपनाना चाहिए।
  • साइक्लिंग, जिमिंग,स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक ज़रूर करने की आदत डालें।
  • डायबिटीज एवं हार्ट की दवाएं कभी बंद नहीं होती हैं। इसलिए मरीज दवाएं कभी नहीं छोड़ें। इन दवाओं से किडनी और लिवर पर कोई असर नहीं पड़ता है।
  • चालीस की उम्र के बाद शुगर की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, टीएमटी जांच, रेटिना की जांच जरूर कराएं।

क्या खाएं

  • 1. डायबिटीज में थोड़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।
  • 2. डायबिटीज में हम सारे मौसमी और रस वाले फल खा सकते हैं। ड्राय फ्रूट्स की बात करें तो अखरोट, बादाम, चिया सीड्स, मूंगफली और अंजीर भी ले सकते हैं।
  • 3. अपनी डाइट में गुनगुना पानी, छाछ, जौ का दलिया और मल्टीग्रेन आटा (मिलाजुला अनाज) शामिल करें।
  • 4. डायबिटीज के रोगी को दिन में सोना, मल-मूत्र आदि वेगों को नहीं रोकना चाहिए। मांसाहार, शराब और सिगरेट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • 5- डायबिटीज रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ऐसे में वे नींबू पानी लेंगे तो यह उनकी सेहत के लिए और भी अच्छा होगा।
  • 6- डायबिटीज रोगी को बहुत भूख लगती है और बार-बार कुछ न कुछ खाने का मन करता है। आपके साथ भी यदि ऐसा होता है तो कुछ भी खाने के बजाय आप भूख से थोड़ा कम खाएं और हल्का भोजन लेते हुए सलाद को ज्यादा खाएं। यानी आपको बार-बार भूख लगती है तो आप सलाद में खीरे को अधिक मात्रा में खाएं।
  • 7- डायबिटीज रोगी में आंखें कमजोर होने की आशंका लगातार बनी रहती है। यदि आप चाहते हैं कि डायबिटीज के दौरान आपकी आंखों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े तो आपको गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है।
  • 8- डायबिटीज के रोगी को तोरई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करना चाहिए।
  • 9- डायबिटीज के दौरान शलगम के सेवन से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। शलगम को न सिर्फ आप सलाद के जरिए बल्कि इसको सब्जी, परांठे आदि चीजों के रूप में भी ले सकते हैं।

डायबिटीज का असर
डायबिटीज का असर किडनी पर कुछ साल बाद ही शुरू हो जाता है। इसे रोकने के लिए ब्‍लड शुगर और ब्‍लड प्रेशन दोनों को नॉमर्ल रखना चाहिए। ब्‍लड शुगर के स्‍तर को नियंत्रण में रखकर आंखों की मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में अकसर 65 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते दिल के दौरे की समस्‍या शुरू हो जाती है। इससे बचने के लिए ग्‍लूकोज स्‍तर नियंत्रण में रखने के साथ-साथ ब्‍लड प्रेशर, कोलेस्‍ट्रॉल और तनाव पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है। डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक्‍स, लकवा, इन्‍फेक्‍शन और किडनी फेल होने का भी खतरा बना रहता है। आप इसके खतरों से बचने के लिए आहार में सावधानी रखने के साथ ही नियमित रूप से व्‍यायाम करें।

इन चीजों को न खाएं
डिब्बा बंद आहार,बासी खाना, फ़ास्ट फूड, जंक फूड, ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन नहीं खाना चाहिए। इन आयुर्वेदिक उपचारों का पालन करके आप हेल्दी रह सकते हैं।

यह अनुमान बताता है कि जिस हिसाब से वर्तमान में लोगों को इंसुलिन मुहैया हो रही है वह भविष्य की जरूरतों को देखते हुए निहायत ही नाकाफी है। आने वाले दिनों में अफ्रीका और एशिया में इसकी मांग तेजी से बढ़ेगी। स्वास्थ्य से जुड़ी इस चुनौती के लिए बहुत सारे प्रयास करने होंगे।
डॉ संजय बसु, शोधकर्ता (स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी)  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.