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जलवायु संकट को लेकर 'भारत की ग्रेटा' बन UN के मंच पर छाई रिद्धिमा, जानें उनके बारे में

Climate Change के कारण विश्‍व में पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर 16 युवाओं ने सरकारों के खिलाफ UN में शिकायत दर्ज करवाई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 09:36 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 10:44 PM (IST)
जलवायु संकट को लेकर 'भारत की ग्रेटा' बन UN के मंच पर छाई रिद्धिमा, जानें उनके बारे में
जलवायु संकट को लेकर 'भारत की ग्रेटा' बन UN के मंच पर छाई रिद्धिमा, जानें उनके बारे में

नई दिल्‍ली, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण विश्‍व में पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर 16 युवाओं ने सरकारों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UN) में शिकायत दर्ज करवाई है। इन बच्चों द्वारा दायर याचिका में लिखा गया है कि दुनिया के 5 देशों तुर्की, अर्जेंटीना, फ्रांस, जर्मनी और ब्राजील ने जलवायु संकट को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाकर मानवाधिकारों का हनन किया है। जिन 16 युवाओं ने शिकायत की है, उनमें ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) के साथ भारत की रिद्धिमा पांडे (Ridhima Pandey) भी शामिल हैं।

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पर्यावरण की अनदेखी नहीं कर सकते

11 साल की रिद्धिमा पाण्डेय का कहना है कि जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, अर्जेंटीना और तुर्की जैसे देश संयुक्त राष्ट्र की संधि के तहत युवाओं के प्रति जिम्मेदारियों को नहीं निभा रहे हैं। रिद्धिमा ने न्यूयॉर्क से स्वदेश लौटने पर कहा कि हम इस मुद्दे को विश्व स्तर पर ले जाएंगे। मुझे लगता है कि विश्व नेता हमारी अनदेखी नहीं कर पाएंगे। रिद्धिमा ने बताया कि न्यूयॉर्क में लोग उससे अकसर कहते थे कि तुम एक कार्यकर्ता बनने के लिए अभी बहुत छोटी हो. लेकिन रिद्धिमा को ऐसा नहीं लगता क्योंकि बाकी देशों में दूसरे बच्चे भी ऐसा कर रहे हैं। वह कहती है कि उसकी यात्रा की सबसे अच्छी बात रही शिकायत दर्ज कराना और फिर शुक्रवार को ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक में हिस्सा लेना। उस दिन नई दिल्ली, मंबई और कोलकाता जैसे भारत के कई शहरों में भी प्रदर्शन हुए।

काफी समय से सक्रिय हैं रिद्धिमा

उत्‍तराखंड की रिद्धिमा पाण्डेय काफी समय से पर्यावरण के लिए सक्रिय है। उसने 2017 में भारत के एनजीटी में एक याचिका दायर कर कहा था कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हालांकि एनजीटी ने रिद्धिमा पाण्डेय की याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन फिर रिद्धिमा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई।

रिद्धिमा पाण्डेय हरिद्वार से हैं, जो एक बड़ा तीर्थस्थल है। हालांकि वहां से गुजरने वाली गंगा प्रदूषण की मार झेल रही है। उनका कहना है कि सरकार कहती है कि उन्होंने गंगा को साफ किया है, लेकिन यह सच नहीं है। हम गंगा को अपनी मां कहते हैं, गंगा को देवी कहते हैं, और फिर हम उसे प्रदूषित करते हैं। उसका कहना है कि गंगा किनारे उसे अकसर मूर्तियां, कपड़े और प्लास्टिक की थैलियां मिलती हैं।

पिता की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी चीजों को लेकर हुईं सक्रिय

रिद्धिमा ने 2013 में जलवायु में रुचि लेनी शुरू की। 2013 में रिद्धिमा और उनके परिवार ने हरिद्वार में ऐसी ही विनाशकारी बारिश देखी जिससे भयंकर बाढ़ आई और कई लोगों की जानें चलीं गईं। ''पेशे से वन्यजीव संरक्षक रिद्धिमा के पिता ने उसे ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी चीजों से बारे में बताना शुरू किया क्योंकि वह प्राकृतिक संकटों के बारे में लगातार सवाल पूछा करती थी।

अपनी बेटी के साथ न्यूयॉर्क जाने वाले दिनेश पाण्डेय कहते है कि हम बड़े लोग बातें बहुत करते हैं। यह सही नहीं है। वे लोग आने वाली पीढ़ियों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। मैं यहां अपनी बेटी के साथ खड़ा हूं। मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरी बेटी विश्व स्तर पर इस मिशन में सबके साथ खड़ी है।  


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