राशन प्रणाली में सुधार की राह में कई बड़े राज्य बने रोड़ा
बड़े राज्यों में रियायती दर की राशन दुकानों पर अभी तक प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीनें नहीं लगाई जा सकी हैं।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। राशन प्रणाली में सुधार की राह में कई बड़े राज्य रोड़ा बने हुए हैं। उनकी इस लापरवाही के चलते इन राज्यों के उपभोक्ताओं को पुरानी राशन प्रणाली पर ही संतोष करना पड़ रहा है। इससे उन्हें अति रियायती दर वाला अनाज मिलने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। केंद्र सरकार के सख्त रुख के बावजूद उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे बड़े राज्यों में रियायती दर की राशन दुकानों पर अभी तक प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीनें नहीं लगाई जा सकी हैं।
-उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और असम में नहीं सुधर रही प्रणाली
- राशन दुकानों पर पॉस मशीनें लगाने में हो रही आनाकानी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून पर अमल करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार पर सरकार ने जोर दिया है। ज्यादातर राज्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और राशन प्रणाली की खामियों को दूर करने का प्रयास किया है। लेकिन कई बड़े राज्यों में सुधार की गति बहुत धीमी है। सुधार के क्रम में पहली बार नकली व फर्जी राशन कार्ड को चिन्हित कर उन्हें रद्द किया गया। इस अभियान में तकरीबन दो करोड़ राशन कार्ड नकली पाये, जिन्हें रद्द किया गया। इससे तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी की चोरी को रोकने में मदद मिली है।
खाद्य मंत्रालय ने रियायती दर की राशन दुकानों को दुरुस्त करने का फैसला किया था, जिसके लिए हर दुकान पर प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीनें लगानी शुरु की। इससे असल उपभोक्ता को ही राशन दिया जा सकता है। मशीनों को उपभोक्ताओं के बायोमीट्रिक व आधार नंबर से जोड़ दिया गया। लिहाजा राशन चोरी की संभावना शून्य हो जाएगी। खाद्य मंत्रालय के अभियान को उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और असम जैसे बड़े राज्यों ने पलीता लगा दिया है।
उत्तर प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से अभियान को गति तो मिली है। लेकिन अभी तक राज्य में केवल 12 हजार दुकानों पर ही मशीनें लगाई जा सकी हैं। अभी भी 67 हजार से अधिक राशन की दुकानों पर पॉस मशीनें लगाई जानी हैं। बिहार में अभी तक एक भी राशन दुकान पर पॉस मशीन नहीं लगाई जा सकी है। इसी तरह बंगाल में 40 हजार और असम में 35 हजार दुकानों पर पॉस मशीनें लगाई जानी है।
पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों में लगभग 10 हजार से अधिक राशन दुकानों पर मशीनें लगाई जानी हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी किसी राज्य सरकार की ओर से कोई कारगर प्रयास नहीं किया जा रहा है।