इसरो के मानव मिशन में सुरक्षा के लिहाज से अहम प्रणालियों के होंगे कई बैकअप
वीएसएससी के निदेशक एस.सोमनाथ ने बताया कि तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाने वाले जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के डिजाइन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है सिर्फ जरूरत के हिसाब से मामूली बदलाव किए गए हैं।
चेन्नई, आइएएनएस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव अंतरिक्ष उड़ान रॉकेट में सुरक्षा के लिहाज से अहम प्रणालियों के कई बैकअप होंगे। इसरो के ही एक अंग विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के निदेशक एस. सोमनाथ ने बताया कि मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन या गगनयान के लिए जीएसएलवी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें अहम प्रणालियों के लिए चार बैकअप बनाए जाएंगे।
किसी एक के खराब होने पर अन्य से लिया जाएगा काम
इसरो के एक पूर्व अधिकारी ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि किसी विशेष काम के लिए उसमें कई सेंसर लगे होंगे। अगर उनमें से कोई एक खराब होता है तो दूसरे काम करेंगे। क्रू एस्केप सिस्टम के लिए एवियोनिक्स को एक स्वतंत्र प्रणाली के रूप में कॉन्फिगर किया गया है, जिसमें इंस्ट्रूमेंटेशन सिस्टम और सीक्वेंसिंग सिस्टम शामिल हैं।
रॉकेट में किए गए हैं मामूली बदलाव
सोमनाथ ने बताया कि तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाने वाले जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के डिजाइन में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, सिर्फ जरूरत के हिसाब से मामूली बदलाव किए गए हैं। रॉकेट में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों एवं कंपोनेंट पर ज्यादा खर्च किया गया है।
अगले साल होना है परीक्षण
बता दें कि भारत ने एक सप्ताह के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है। देश के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के भाग के रूप में जीएसएलवी की पहली मानव रहित परीक्षण उड़ान 2021 में होने की उम्मीद है। वास्तविक मानव उड़ान से पहले दो मानव रहित जीएसएलवी रॉकेटों का परीक्षण किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने पहले कहा था कि भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए लांच वाहन और कक्षीय मॉड्यूल प्रणाली की डिजाइन और इंजीनियरिंग पूरी हो गई है। 2020 में सिस्टम के डिजाइन और इंजीनियरिंग को मान्य करने के लिए परीक्षणों की एक सीरीज करनी होगी।