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ओबामा के लिए सौदों की सौगात लेकर जाएंगे मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका यात्रा पर मेजबान राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए कई अहम सौदों का तोहफा साथ लेकर जाएंगे। इस दौरान भारत में पहले अमेरिकी नाभिकीय रिएक्टर के लिए व्यापारिक करार से लेकर

By Edited By: Published: Wed, 11 Sep 2013 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2013 09:19 PM (IST)
ओबामा के लिए सौदों की सौगात लेकर जाएंगे मनमोहन

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका यात्रा पर मेजबान राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए कई अहम सौदों का तोहफा साथ लेकर जाएंगे। इस दौरान भारत में पहले अमेरिकी नाभिकीय रिएक्टर के लिए व्यापारिक करार से लेकर 88 करोड़ डॉलर से ज्यादा के होवित्जर तोप सौदे जैसे कई समझौते संभव हैं। आर्थिक मुश्किलों और चुनावों से पहले सियासी मुश्किलों से जूझ रही सरकार की अगुआई कर रहे पीएम की कोशिश अमेरिकी बाजार में नए सिरे से ब्रांड भारत को पेश करने व निवेश आकर्षित करने की होगी।

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न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा बैठक के लिए अमेरिका जा रहे पीएम की अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ 27 सितंबर को द्विपक्षीय मुलाकात होनी है। दोनों की मौजूदगी में ही संप्रग सरकार की पहली पारी में हुए भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को नतीजे तक पहुंचाते हुए अमेरिकी कंपनी वेस्टिंग हाउस और सार्वजनिक उपक्रम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच दस्तखत होने हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग और नवीन ऊर्जा साझेदारी के करारनामे भी संभव हैं। इस क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियां भारत में अपने लिए बड़ा बाजार देख रही हैं। भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी के सबसे मजबूत स्तंभ बने रक्षा क्षेत्र में भी खरीद सौदे भी इस दौरे में होने हैं। अमेरिका से 145 कम वजनी होवित्जर तोपों की खरीद का सौदा सबसे अहम है। अमेरिका से सीधी सैन्य खरीद (फॉरेन मिलिट्री सेल) के जरिए होने वाले 88.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के करार पर दस्तखत होने हैं।

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने अगस्त के पहले सप्ताह में अमेरिकी कांग्रेस को इस सौदे की जानकारी देते हुए अधिसूचित कर दिया था। इसके अलावा अमेरिका से 22 अपाचे युद्धक हेलीकॉप्टर और 6 भारी मालवाहक चिनूक हेलीकॉप्टर सौदे का रास्ता भी साफ हो सकता है। भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में बड़ी हिस्सेदारी पर नजर जमाए अमेरिका के साथ साझा हथियार उत्पादन व विकास पर भी रजामंदी संभव है। जून में अमेरिका की ओर से एक प्रस्ताव भारत को भेजा गया था। गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा कारोबार नौ अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।

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