मनमोहन करना चाहते थे पाक आतंकियों से संपर्क: यासीन मलिक
नई दिल्ली। जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक का कहना है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहते थे कि वे [यासीन मलिक] पाकिस्तानी आतंकियों से संपर्क करें। मलिक ने एक टीवी शो में कहा कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनने के दो साल बाद वर्ष 2006 में यह पेशकश रखी थी। मलिक के अनुसार, मनमोहन सिंह भारत-पाक शांति प्रक्रिया को बढ़
नई दिल्ली। जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक का कहना है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहते थे कि वे [यासीन मलिक] पाकिस्तानी आतंकियों से संपर्क करें।
मलिक ने एक टीवी शो में कहा कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनने के दो साल बाद वर्ष 2006 में यह पेशकश रखी थी। मलिक के अनुसार, मनमोहन सिंह भारत-पाक शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए ऐसा चाहते थे। हालांकि जेकेएलएफ नेता ने इस बात का ब्यौरा नहीं दिया कि उन्होंने इस पेशकश के बाद आतंकियों से मुलाकात की थी या नहीं।
लश्कर के लड़ाकों को किया संबोधित
उन्होंने कहा, 'मैंने 2006 में मनमोहन सिंह से मुलाकात के दौरान कहा कि सरकार को आतंकी समूहों को भी शांति वार्ता में शामिल करना चाहिए। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बारे में उनकी [मलिक की] मदद की जरूरत है।' मलिक ने कहा कि जब वे पाकिस्तान में 'आजाद कश्मीर' [पाक कब्जे वाले कश्मीर] गए, तो वे वहां लश्कर-ए-तोइबा के कैंप में भी गए, जहां लश्कर नेता हाफिज सईद ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। वहां उन्होंने लश्कर के लड़ाकों को संबोधित किया था।
मोदी का कड़ा रुख, अलगाववादियों पर दोष न मढ़ें
यासीन मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कश्मीर पर 'कडे़ रख' की आलोचना करते हुए अलगाववादियों के कारण भारत-पाक वार्ता रद्द होने के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि कश्मीरी नेताओं की पाकिस्तानी अधिकारियों से मुलाकात की 24 साल पुरानी परंपरा है। जब भी उनके प्रधानमंत्री या विदेश सचिव भारत आते हैं, तो कश्मीरी नेता उनसे मिलते हैं। उन्होंने कहा, 'भारत-पाक वार्ता रद्द होने का दोष हमारे ऊपर मढ़ना गलत है।'