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दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर मेनका की राज्यों को चिट्ठी, सुझाया ये फॉर्मूला

मेनका गांधी ने सभी मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि दुष्कर्म के मामलों में कानून की समय सीमा के अनुसार ऐसे केस में जांच पूरी हो गई हो।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 05:22 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 05:25 PM (IST)
दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर मेनका की राज्यों को चिट्ठी, सुझाया ये फॉर्मूला
दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर मेनका की राज्यों को चिट्ठी, सुझाया ये फॉर्मूला

नई दिल्ली, आईएएनएस। देश में लगातार बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। मेनका ने दुष्कर्म की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्रियों को इस पत्र के जरिए कई सुझाव दिए हैं। 

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मेनका गांधी ने सभी मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि दुष्कर्म के मामलों में कानून की समय सीमा के अनुसार ऐसे केस में जांच पूरी हो गई हो। जिससे पीड़िता और उसके परिजनों को जल्दी न्याय मिल सके। मेनका ने कहा 'त्वरित और समय पर पेशेवर जांच एकमात्र तरीका है जिससे संभावित अपराधी पर अंकुश लगाया जा सकता है। लेकिन, यह फैसला सिर्फ राज्यों को ही करना है क्योंकि पुलिस विभाग राज्य का मसला है।'

मेनका ने आगे कहा 'दुष्कर्म अपराधों के लिए या विशेष रूप से बच्चों के खिलाफ होने वाले दुष्कर्म अपराधों के लिए एक विशेष सेल बनाना इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।' इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने पुलिस अधिकारियों को विभिन्न पहलुओं पर फिर से प्रशिक्षित किए जाने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने बच्चों के अंदर जागरुकता फैलाने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने राज्य सरकारों को राज्यों में फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को बनाने में सहायता की पेशकश की है जो यौन अपराधों की जांच में इस्तेमाल किया जा सकते हैं।

हाल ही में कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म के मामले सामने आने के बाद मेनका गांधी ने कहा था कि सरकार प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (पॉक्सो) एक्ट में संशोधन की तैयारी कर रही है ताकि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मौत की सजा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि कड़ी सजा का प्रावधान ही मजबूत प्रतिरोधक होता है। मालूम हो कि पॉस्को एक्ट में फिलहाल मौत की सजा का कोई प्रावधान नहीं है। इस अधिनियम के तहत अधिकतम उम्र कैद की सजा ही दी जा सकती है।


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