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पाक को अलग-थलग करने में कामयाबी

तीन दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान जिस तरह से भारत ने सीमा पार आतंकवाद पर संयुक्त अरब अमीरात का समर्थन हासिल किया है, उसे जानकार महत्वपूर्ण मान रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ बातचीत के बाद जारी

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2015 06:28 AM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2015 06:36 AM (IST)
पाक को अलग-थलग करने में कामयाबी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तीन दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान जिस तरह से भारत ने सीमा पार आतंकवाद पर संयुक्त अरब अमीरात का समर्थन हासिल किया है, उसे जानकार महत्वपूर्ण मान रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान के साथ बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में जिस तरह से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की गई है, उसके निशाने पर निश्चित तौर पर पाकिस्तान है। यह पहली बार है कि यूएई ने सीमा पार आतंक पर भारत के पक्ष का न सिर्फ समर्थन किया है, बल्कि इस लड़ाई में भारत से हाथ भी मिलाया है।

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संयुक्त बयान के अनुसार, 'भारत और यूएई सभी देशों से आह्वान करते हैैं कि वह दूसरे देशों में आतंक को बढ़ावा देना बंद करें। आतंक के ढांचे को नेस्तानाबूद करें और आतंक के दोषियों को सजा दिलाएं।' यह बयान भारतीय पक्ष का खुला समर्थन है, क्योंकि पड़ोसी पाकिस्तान लगातार भारत में आतंक का समर्थन करता है। मुंबई हमले के आरोपियों पर कार्रवाई करने के लिए भारत लगातार पाकिस्तान से कह रहा है, लेकिन वहां की सरकार आनाकानी कर रही है। दोनों देश आतंक के मुद्दे पर एक-दूसरे का समर्थन और आतंक से जुड़ी जानकारियों का आदान-प्रदान करेंगे। एक तरह से भारत व यूएई में आतंक के खिलाफ सहयोग का एक पूरा नेटवर्क तैयार किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की यूएई यात्रा का सबसे अहम पहलू आतंक के मुद्दे पर सहयोग ही रहा है, क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी तक यूएई पाकिस्तान का सबसे करीबी देश है। पाकिस्तान ने दुबई को भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र तक बना रखा था। यह भी माना जाता है कि मुंबई बम विस्फोट का प्रमुख आरोपी दाऊद इब्राहिम ने पाकिस्तान के सहयोग से दुबई में कारोबार का बड़ा नेटवर्क फैला रखा है। लेकिन सोमवार को जारी संयुक्त बयान यूएई के रुख में आ रहे बदलाव का संकेत है। आइएस की बढ़ती गतिविधियों के बाद यूएई पहले से ही आंतक के खिलाफ सख्ती दिखाने का संकेत दे चुका है। ऐसे में भारत को उम्मीद है कि यूएई अब दाऊद के नेटवर्क को खत्म करने के लिए भी कदम उठाएगा।

मोदी की यह यात्रा आर्थिक मोर्चे पर भी पाक को अलग-थलग करने का रास्ता साफ कर सकता है। पाक के आंतरिक हालात को देखते हुए यूएई के निवेशक वहां पैसा लगाने से हिचकने लगे हैैं। दूसरी तरफ भारतीय बाजार का आकर्षण बढ़ रहा है। ऐसे में दुबई के निवेशकों व सरकारी फंड के लिए भारत निवेश का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। यूएई के पास 800 अरब डॉलर का फंड है जिसके निवेश के तरीके खोजे जा रहे हैं।

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