बस से छात्रा को उतारकर हत्या करने वाले युवक को दोहरा आजीवन कारावास
एक छात्रा को बस से उतारकर हत्या करने व बस परिचालक समेत कुछ यात्रियों को चाकू मारकर घायल करने के आरोपित युवक को विशेषष न्यायालय ने दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
By Vikas JangraEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 12:07 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 12:07 AM (IST)
भोेपाल [नईदुनिया प्रतिनिधि]। यात्रियों से भरी बस में पेट्रोल छि़ड़ककर आग के हवाले करने की धमकी देते हुए अनुसूचित जाति की एक छात्रा को बस से उतारकर हत्या करने व बस परिचालक समेत कुछ यात्रियों को चाकू मारकर घायल करने के आरोपित युवक को विशेषष न्यायालय ने दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
विशेषष लोक अभियोजक सुखेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि 28 अक्टूबर 2016 को बस स्टैंड से शाम 5.15 बजे महाबली बस ([एमपी 17 ए 5491)] सीधी से कुसमी के लिए रवाना हुई थी। बस में छात्रा संजू सिंह गौंड पिता हीरा सिंह निवासी ब़़डबाही थाना कुसमी भी सवार थी।
बस जब भदौरा रेलवे फाटक के पास पहुंची तो आरोपित शिवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ शिब्बू सिंह परिहार पिता आनंद बहादुर सिंह परिहार ([30)] निवासी धुआंडोल पुलिस चौकी म़़डवास भी सवार हो गया था। गोतरा के अष्टभुजी चैराहे के पास बस रकी तो आरोपित शिब्बू सिंह पीछे से उतरकर आगे के गेट से च़़ढने लगा, उसे रोकने की कोशिश करने पर आरोपित ने परिचालक अशोक कुमार व एक यात्री कृष्णकुमार को चाकू से हमला कर घायल कर दिया और बस में पेट्रोल डालकर आग लगाने की धमकी दी। बस में बैठी छात्रा संजू सिंह को आरोपित ने बस से नीचे उतारा और चाकू से वार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद वह फरार हो गया, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एके पालीवाल ने सुनवाई करते हुए आरोपित शिब्बू सिंह परिहार को दोषषी मानते हुए धारा 324 ([दो शीषर्ष)] में प्रत्येक आहत के संबंध में एक--एक हजार रपए का अर्थदंड, धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व एक हजार रपए का अर्थ दंड। इसी तरह अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का अपराध साबित होने पर आजीवन कारावास व एक हजार रपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर हर धारा में एक--एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताने का फैसला सुनाया है। आजीवन कारावास की दोनों सजाएं साथ--साथ चलाने का फैसला सुनाया है। यह मामला प्रेम प्रसंग से जु़़डा हुआ है। शिब्बू सिंह मृतका से एकतरफा प्रेम करता था।
विशेषष लोक अभियोजक सुखेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि 28 अक्टूबर 2016 को बस स्टैंड से शाम 5.15 बजे महाबली बस ([एमपी 17 ए 5491)] सीधी से कुसमी के लिए रवाना हुई थी। बस में छात्रा संजू सिंह गौंड पिता हीरा सिंह निवासी ब़़डबाही थाना कुसमी भी सवार थी।
बस जब भदौरा रेलवे फाटक के पास पहुंची तो आरोपित शिवेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ शिब्बू सिंह परिहार पिता आनंद बहादुर सिंह परिहार ([30)] निवासी धुआंडोल पुलिस चौकी म़़डवास भी सवार हो गया था। गोतरा के अष्टभुजी चैराहे के पास बस रकी तो आरोपित शिब्बू सिंह पीछे से उतरकर आगे के गेट से च़़ढने लगा, उसे रोकने की कोशिश करने पर आरोपित ने परिचालक अशोक कुमार व एक यात्री कृष्णकुमार को चाकू से हमला कर घायल कर दिया और बस में पेट्रोल डालकर आग लगाने की धमकी दी। बस में बैठी छात्रा संजू सिंह को आरोपित ने बस से नीचे उतारा और चाकू से वार कर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद वह फरार हो गया, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एके पालीवाल ने सुनवाई करते हुए आरोपित शिब्बू सिंह परिहार को दोषषी मानते हुए धारा 324 ([दो शीषर्ष)] में प्रत्येक आहत के संबंध में एक--एक हजार रपए का अर्थदंड, धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व एक हजार रपए का अर्थ दंड। इसी तरह अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का अपराध साबित होने पर आजीवन कारावास व एक हजार रपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर हर धारा में एक--एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताने का फैसला सुनाया है। आजीवन कारावास की दोनों सजाएं साथ--साथ चलाने का फैसला सुनाया है। यह मामला प्रेम प्रसंग से जु़़डा हुआ है। शिब्बू सिंह मृतका से एकतरफा प्रेम करता था।
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