हजारों लोगों से ठगी कर बनाया राजमहल जैसा आशियाना, ठाट-बाट देखकर दंग रह जाअोगे
सरगना ने ठगी के पैसों से गाजियाबाद के रिहायशी इलाके में राजमहल जैसा आशियाना बना रखा है।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। फर्जी वेबसाइट से बैंक ग्राहक सेवा केंद्र की फ्रेंचाइजी दिलाने का झांसा देकर देशभर के हजारों लोगों से करोड़ों ठगी करने वाले एक शातिर जालसाज को उप्र के गाजियाबाद में रायपुर पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद घेराबंदी कर दबोचा। अंतर्राज्यीय गिरोह के इस सरगना ने ठगी के पैसों से गाजियाबाद के रिहायशी इलाके में राजमहल जैसा आशियाना बना रखा है।
उसकी लाइफ स्टाइल किसी रईसजादे से कम नहीं है। पुलिस टीम उसकी ठाट-बाट देखकर दंग रह गई। सरगना के पास से लैपटॉप, चार मोबाइल, आठ सिम, तीन एटीएम कार्ड, नकद 39 हजार 7 सौ रुपये, मल्टी बैंक सीएसपी के नाम के कई दस्तावेज मिले हैं। बैंक खाता खंगालने पर एक करोड़ के लेनदेन का हिसाब-किताब मिला है। दिल्ली पुलिस को भी उसकी तलाश है।
पुलिस कंट्रोल रूम में शुक्रवार शाम को एसएसपी अमरेश मिश्रा ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि मूलत: बिहार के नवादा जिले के मीरचक गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार (35) को दिल्ली में एक सप्ताह तक पुलिस टीम ने कैंप कर गिरफ्तार करने में सफल रही। गोबरा नवापारा निवासी सुरेंद्र कुमार साहू को पंडरीपानी में देना बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र की आईडी दिलाने का झांसा देकर अपने आप को अजीत सिंह बताकर धर्मेंद्र ने 1 लाख 23 हजार 8 सौ रुपए ठग लिए थे, जबकि बलरामपुर का एक और बेरोजगार भी गैंग की ठगी का शिकार हुआ है।
यहां बनाया छिपने का ठिकाना
पिछले पांच साल से फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी का नेटवर्क पूरे देशभर संचालित करते आ रहे धर्मेंद्र ने ठगी के पैसे से दिल्ली, गाजियाबाद, चंडीगढ़, बिहार समेत कई राज्यों में छिपने का स्थायी ठिकाना बना रखा है। दिल्ली में भी उसके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज है, लेकिन अब तक वह गिरफ्तार नहीं हुआ। वह अपना ठिकाना बदल-बदल कर छुपता रहा, यही वजह है कि उसे अन्य राज्यों की पुलिस तलाश नहीं पाती थी। पहली बार वह रायपुर पुलिस के घेरे में फंसा।
दस बैंक खातों में ठगी के पैसे
पुलिस के मुताबिक आरोपी धर्मेंद्र ने कई सरकारी व गैर सरकारी बैंकों में खाता खुलवा रखा है। ठगी का पूरा पैसे उसी खाते में वह जमा कराता था। पुलिस उसके बैंक खाते की पूरी डिटेल खंगाल रही है।
देशभर में गिरोह का फैला है नेटवर्क
डीएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि धर्मेंद्र ने दर्जनभर से अधिक फर्जी वेबसाइट बनाकर देशभर में करीब एक हजार बेरोजगारों को बैंक ग्राहक सेवा केंद्र की फ्रेंचाइजी दिलाने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी की है। वह इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से अपना शिकार तलाशता था। एक वेबसाइट का इस्तेमाल सिर्फ 2 से 3 महीने तक करने के बाद उसका डोमेन नेम बदल देता था। वर्तमान में उसकी चार वेबसाइट चालू मिली। लोगों को झांसे में लेने के लिए उसने फर्जी बेवसाइट को गूगल सर्च में इस तरह से रजिस्टर्ड कर रखा था कि ग्राहक सेवा केंद्र सर्च करने पर वह सबसे पहले दिखता था। अपनी वेबसाइट में सरकारी वेबसाइट का लिंक उसने दे रखा था, जिसके माध्यम से वह ठगी की वारदात को अंजाम देता था।
ऐसे फंसाता था ग्राहकों को
धर्मेंद्र ग्राहकों को कॉल कर पूरी डिटेल मल्टी सीएसपी के ई-मेल पर मंगाता था। मोबाइल पर मैसेज भेजकर वेबसाइट से फार्म डाउनलोड करवाता था। इसके बाद बैंक ग्राहक सेवा केंद्र की फ्रेंचाइजी की फीस खाते में जमा करवाने के बाद मोबाइल पर मैसेज कर आईडी एवं यूजर आईडी व पासवर्ड ई-मेल के जरिए भेजता था। इस प्रक्रिया में करीब दो से तीन महीने का समय लग जाता था। जैसे ही ग्राहक पैसे वापस मांगने का दबाव बनाने लगते थे, वह अपना मोबाइल नंबर और वेबसाइट दोनों की बंद कर देता था।