नरेंद्र मोदी के खिलाफ कम नहीं हुए ममता के तेवर
नरेंद्र मोदी के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर जस-के-तस बने हुए हैं। एक तरफ जे. जयललिता और नवीन पटनायक जैसे मुख्यमंत्री मोदी से मिलने दिल्ली पहुंच रहे हैं, वहीं ममता ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के 45 सांसद हैं। क्या इस स्थिति में भी मुझे अपने प्रदेश के किसी काम के लिए दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलना च
कोलकाता। नरेंद्र मोदी के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर जस-के-तस बने हुए हैं। एक तरफ जे. जयललिता और नवीन पटनायक जैसे मुख्यमंत्री मोदी से मिलने दिल्ली पहुंच रहे हैं, वहीं ममता ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के 45 सांसद हैं। क्या इस स्थिति में भी मुझे अपने प्रदेश के किसी काम के लिए दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए?
मामला पश्चिम बंगाल सरकार की एक बहुप्रतिष्ठित सड़क योजना का है, जो सिलिगुड़ी को बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से जोड़ती है।
जब ममता से पूछा गया कि क्या इस बारे में वे मोदी से बात करेंगी या उनसे मिलेंगी, तो मुख्यमंत्री ने कहा, मुख्य सचिव केंद्र सरकार से संपर्क में हैं और जब भी जरूरत होगी, वे बात करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा, जब मेरी पार्टी के 45 सांसद हैं, तब भी क्या मुझे दिल्ली जाना चाहिए? मेरे अधिकांश सांसद दिल्ली पहुंच गए हैं।
गैरभाजपा, गैरकांग्रेस सरकार थी चाहत
लोकसभा चुनाव प्रचार के शुरू में भाजपा चाहती थी कि ममता एनडीए का हिस्सा बन जाए। नरेंद्र मोदी ने भी बंगाल की अपनी पहली रैली में ममता पर निशाना नहीं साधा था, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ा, दोनों के बीच की दूरियां स्पष्ट हो गई।
चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में ममता ने मोदी को खुलकर कोसा। मोदी ने भी बांग्लादेशी नागरिकों के मसले पर दीदी को आड़े हाथों लिया।
दरअसल, ममता बनर्जी चाहती थीं कि केंद्र में गैर-भाजपाई और गैर-कांग्रेसी सरकार बने। उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता से संपर्क साधकर संकेत दिए थे कि भाजपा या कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला तो वे सरकार बनाने का प्रयास कर सकती हैं।