कश्मीर पर विवादित टिप्पणी के बाद मालदीव के राजदूत ने दी सफाई
कश्मीर पर मालदीव के एक वरिष्ठ मंत्री के विवादास्पद बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मालदीव का कश्मीर पर वही रुख है जो 1970 के दशक से रहा है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। मालदीव के एक वरिष्ठ मंत्री के कश्मीर पर टिप्पणी करने से आई खटास को दूर करने के लिए भारत में मालदीव के राजदूत ने कहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे भारत और पाकिस्तान को ही मिलकर सुलझाना होगा।
हाल के सालों में भारत और मालदीव के बीच बढ़ी दूरियों का हवाला देते हुए मालदीव के राजदूत अहमद मुहम्मद ने कहा कि मौजूदा हालात के लिए दोनों देशों के बीच कम आदान-प्रदान होना है। उन्होंने कहा कि अब दोनों देशों को पुरानी बातें भूल जानी चाहिए।
कहा- कश्मीर मसला मिल कर सुलझाना चाहिए
कश्मीर पर मालदीव के एक वरिष्ठ मंत्री के विवादास्पद बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मालदीव का कश्मीर पर वही रुख है जो 1970 के दशक से रहा है। हमने हमेशा कहा है कि यह दो देशों के बीच का मामला है कि और यह उन्हें मिलकर ही सुलझाना चाहिए।
उन्होंने मालदीव के एकतरफा रिश्ते का जिक्र करते हुए कहा कि एक अरसे से उनके देश से भारत से कई बड़े नेता आए लेकिन भारत से कोई मालदीव नहीं गया। मालदीव का मानना है कि रिश्तों में दूरियों का यही कारण है।
मालदीव के मंत्री ने कहा था-आंतरिक मामलों में दखल ना दे भारत
आपको बता दें कि मालदीव सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री मोहम्मद शाइनी ने मंगलवार को कहा था कि मालदीव ने कश्मीर मुद्दे पर न तो कभी दखल दिया न ही मध्यस्थता की पेशकश की। क्योंकि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है। इसी तरह भारत को भी हमारे आंतरिक मामले में दखल नहीं देना चाहिए।’
शाइनी ने यह भी कहा था कि हमारा देश स्वतंत्र है और अपनी परिस्थितियों को दुरुस्त करने में सक्षम भी। अगर हमें मदद की जरूरत पड़ेगी, हम उन्हें बता देंगे। उनके इस बयान को भारत और मालदीव के बीच बढ़ती दूरियों के तौर पर देखा जाने लगा है।
शाइनी के इस बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई और इसे काफी 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया साथ ही कहा कि दोनों देशों के हालात एक-दूसरे से जुदा है। कश्मीर मसले को जहां पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का नतीजा बताया तो मालदीव को लोकतंत्र में खामियों का परिणाम।
भारत-मालदीव में खटास के कारण
मौजूदा दौर में भारत और मालदीव के रिश्ते भी मधुर नहीं चल रहे है। इसके कई कारण हैं। इसमें सबसे अहम मालदीव और चीन के बीच एफटीए पर करार को बताया जा रहा है। दोनों देशों के बीच बढ़ती दूरियों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उच्चायुक्त मोहम्मद ने कहा कि कई मुद्दे हैं जिसे सुलझाने की जरूरत है लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा जरूरी आपसी संवाद बढ़ाना है।
इमरजेंसी में भारत का हाथ?
मालदीव में कुछ राजनीतिक बंदियों की रिहाई के आदेश के बाद सरकार और सुप्रीम कोर्ट में तनातनी देखी गई।सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के आदेश पर देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी। इसके बाद ऐसी खबरें सामने आईं कि भारत हिंद महासागर में बसे इस देश में सैन्य दखल दे सकता है क्योंकि वह एक बार पहले भी ऐसा कर चुका है।