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Tejas Fighter Jet: मलेशिया की वायु सेना में गरजेगा भारत का तेजस जेट विमान, जानें- अन्‍य कौन से मुल्‍क भी धड़ल्‍ले से खरीद रहे हैं भारतीय रक्षा उपकरण

भारत दुनिया के कितने देशों को हथियार बेचता है। भारत अन्‍य किन सैन्‍य उपकरणों का निर्यात करता है। रक्षा उपकरणों के निर्यात को लेकर भारत का क्‍या लक्ष्‍य है। रक्षा क्षेत्र में तेजस विमान सौदा क्‍यों अहम माना जा रहा है। इसका रक्षा निर्यात पर क्‍या असर पड़ेगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2022 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2022 10:58 PM (IST)
Tejas Fighter Jet: मलेशिया की वायु सेना में गरजेगा भारत का तेजस जेट विमान, जानें- अन्‍य कौन से मुल्‍क भी धड़ल्‍ले से खरीद रहे हैं भारतीय रक्षा उपकरण
Tejas Fighter Jet: मलेशियाई वायु सेना में गरजेगा भारत का तेजस। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Tejas Fighter Jet: भारतीय वायु सेना में शामिल भारत का स्‍वदेशी जेट विमान तेजस सुर्खियों में है। इन दिनों तेजस विमान मलेशिया में भी चर्चा में है। तेजस का मुकाबला चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के विकसित विमानों से किया जा रहा है। अपनी बेहतरीन खूबियों के कारण यह इन मुल्‍कों के विमानों से सर्वश्रेष्‍ठ साबित हुआ। आइए जानते हैं कि भारत दुनिया के कितने देशों को हथियार बेचता है। इसके अलावा यह भी जानेंगे कि भारत अन्‍य किन सैन्‍य उपकरणों का निर्यात करता है। रक्षा उपकरणों के निर्यात को लेकर भारत का क्‍या लक्ष्‍य है। रक्षा क्षेत्र में तेजस विमान सौदा क्‍यों अहम माना जा रहा है। इसका रक्षा निर्यात पर क्‍या असर पड़ेगा।

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1- रक्षा विशेषज्ञ डा अभिषेक प्रताप सिंह (दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय) ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र के निर्यात में दिनों-दिन प्रगति कर रहा है। भारत दुनिया के प्रमुख देशों को ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन जैसे प्रमुख देशों को भी कुछ रक्षा उपकरण बेचता हैं। भारत रूस के सहयोग से निर्मित ब्रह्मोस का निर्यात भी करता है। जनवरी 2022 में ही भारत ने फिलीपींस के साथ 37.5 करोड़ में ब्रह्मोस मिसाइल का रक्षा सौदा किया था। भारत ने जनवरी 2021 में आकाश मिसाइल के निर्यात को भी मंजूरी दी थी। भारत ने तब कहा था कि वो आकाश मिसाइल को 'मित्र देशों' को बेचेगा। जमीन से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल 95 फीसद भारत में निर्मित है। इसे बनाने में भारत को 25 सालों का वक्त लगा था।

2- इतना ही नहीं भारत ने फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्वीडन, अमेरिका और ब्रिटेन को विमानों से जुड़े उपकरण निर्यात किया है। भारत अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन और नीदरलैंड्स को इंजीनियरिंग सर्विस भी प्रदान करता है। नेपाल, मालदीव और मारिशस को भारत ध्रुव हेलीकाप्टर निर्यात करता है। भारत इजरायल, जापान, जर्मनी ब्रिटेन अमेरिका, सऊदी अरब जैसे 34 देशों को बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट बेचता है। जर्मनी, कंबोडिया, मैक्सिको और सऊदी अरब को भारत आर्मर शील्ड निर्यात करता है। भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2024 तक भारत के हथियार निर्यात को पांच अरब डालर कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं भारत विश्व में हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। दुनियाभर में हथियारों के आयातक के रूप में अपनी छवि रखने वाले भारत के लिए खुद को हथियारों का महत्वपूर्ण निर्यातक के रूप में स्थापित करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।

तेजस को लेकर भी बातचीत अंतिम चरण में

1- तेजस को लेकर भी भारत-मलेशिया के बीच बातचीत लगभग अंतिम चरण में है। भारत के तेजस MK-IA वैरिएंट की तुलना में चीन का JF-17 मलेशिया को सस्ता पड़ रहा था, लेकिन इसकी तकनीक तेजस की तुलना में ज्यादा बेहतर नहीं है। साथ ही चीन मलेशिया को सुखोई-30 से संबंधित किसी मदद की पेशकश नहीं कर पा रहा था। इसलिए मलेशिया ने भारतीय विमान को चुना है। सौदे को आगे बढ़ाने के लिए मलेशिया के उच्च अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक टीम के जल्द ही भारत आने की उम्मीद है। अगर मलेशिया के साथ भारत का यह रक्षा सौदा पूरा हो जाता है तो इससे तेजस के लिए अन्य देशों के रास्ते भी खुल जाएंगे। यह सौदा दूसरे देशों को बहुत अच्छा संकेत देगा और विमान के निर्यात में तेजी आएगी।

2- तेजस युद्धक विमान सुखोई विमानों से ज्‍यादा हल्के हैं। ये विमान आठ से नौ टन तक बोझ लेकर उड़ने में सक्षम हैं। इनकी सबसे बड़ी खूबी इसकी गति है। हल्‍के होने के कारण इनकी गति बेजोड़ है। ये विमान 52 हजार फीट की ऊंचाई तक ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं। तेजस विमानों में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसमें क्रिटिकल आपरेशन क्षमता के लिए एक्टिव इलेक्ट्रानिकली-स्कैन्ड रडार यानी इलेक्‍ट्रानिक रूप से स्‍कैन रडार, बियांड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल, इलेक्‍ट्रानिक वारफेयर सुइट से संपन्‍न है। यह हवा में ईंधन भर सकता है और जंग के लिए दोबारा तैयार हो सकता है।

3- तेजस विमान दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है। इतना ही नहीं यह दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है। ये विमान उतने ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है, जितना इससे ज्‍यादा वजन वाला सुखोई विमान। उन्‍होंने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय वायु सेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों की कमी हो रही है, इस तेजस का स्वागत होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस विमान के कलपुर्जें बनाएंगी। तेजस विमानों की इस परियोजना की नींव वर्ष 1983 में ही रखी गई थी। तेजस ने अपनी पहली उड़ान वर्ष 2001 के जनवरी में भरी थी। इस विमान को भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन में 2016 में ही शामिल किया जा सका।


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