मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का बदल जाएगा डीएनए
बड़ा कदम- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स ने शुरू किया प्रोजेक्ट..पांच वर्ष में प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 458 करोड़, किया जाएगा जीन एडिटिंग तकनीक का प्रयोग
जमशेदपुर (सुधीर पांडेय)। अगले कुछ वर्षों में भारत से मलेरिया का नामोनिशान मिट सकता है। नई जीन एडिटिंग तकनीक का प्रयोग कर मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का डीएनए ही बदल दिया जाएगा। यह उम्मीद जगाई है टाटा ट्रस्ट ने। सामाजिक सरोकारों पर काम करने वाली टाटा समूह की यह संस्था इस उद्देश्य से एक बड़ा प्रॉजेक्ट शुरू करने जा रही है। प्रोजेक्ट सफल हुआ तो मच्छर जनित इस रोग का जड़ से उन्मूलन संभव हो जाएगा। टाटा ट्रस्ट अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
वहां टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी की स्थापना की गई है। भारत में भी इस तरह के इंस्टीट्यूट की स्थापना की जानी है। वहीं, बेंगलुरु में इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेम सेल बायोलॉजी एंड रिजेनरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम) भी स्थापित किया जाएगा। इस पर अगले पांच वर्षों में 7 करोड़ डॉलर (करीब 458 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाएगा। संस्था के चेयरमैन रतन टाटा मैनेजिंग ट्रस्टी आर वेंकटरामनन और इनोवेशन हेड मनोज कुमार इंस्टीट्यूट के ट्रस्टी होंगे। बेंगलुरु में यह अगले साल शुरू होगा।
भारत में मच्छरजनित कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। मलेरिया पहले से तांडव मचा रहा था। बाद में डेंगू और चिकनगुनिया ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। और अब जीका वायरस भी यहां दस्तक दे चुका है। ये बीमारियां जानलेवा साबित हो रही हैं। वल्र्ड मलेरिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में मलेरिया के मामलों में भारत की हिस्सेदारी 6 फीसद है। 2016 में देश में मलेरिया के लगभग 10.6 लाख मामले सामने आए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रारंभिक शोध में यह पता चला है कि भारत में बड़े स्तर पर मौजूद मच्छर एनोफिलिस स्टेफेंसी का जेनेटिक्स बदलकर प्लासमोडियम फैल्सिपैरम नाम के पैरासाइट को रोका जा सकता है, जिसे मच्छर फैलाते हैं।
टाटा ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के रिसर्चर मलेरिया को रोकने के लिए मॉस्किटो स्ट्रेन विकसित करने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए वेक्टर एलिमिनेशन की जगह वेक्टर रिप्लेसमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा। टाटा ट्रस्ट इस प्रॉजेक्ट पर काम करने के लिए जल्द ही वैज्ञानिकों की नियुक्ति शुरू करेगी। इसके लिए भारतीय जेनेटिक साइंटिस्ट का चयन कर उन्हें ट्रेनिंग के लिए अमेरिका भेजा जा रहा है।
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