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Youtube से सीखकर बनाई SDM की मुहर, नकली हस्ताक्षर कर दे दी ट्यूबवेल की अनुमति

पूछताछ में यह भी बात सामने आई है कि बोरिंग माफिया भी उनसे जाली अनुमति बनाने के लिए संपर्क करते थे। आरोपित एक अनुमति के बदले 25 हजार रुपये लेते थे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 09:18 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 09:18 AM (IST)
Youtube से सीखकर बनाई SDM की मुहर, नकली हस्ताक्षर कर दे दी ट्यूबवेल की अनुमति
Youtube से सीखकर बनाई SDM की मुहर, नकली हस्ताक्षर कर दे दी ट्यूबवेल की अनुमति

इंदौर, जेएनएन। एसडीएम के जाली हस्ताक्षर और मुहर से ट्यूबवेल की अनुमति देने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो गया है। इस गिरोह के सदस्यों ने यूट्यूब पर मुहर बनाना सीखा। इसके बाद ऑनलाइन मशीन मंगवाई और लगभग सभी एसडीएम के नाम की मुहर बना ली। गिरोह का मुख्य सरगना नगर निगम का एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी है। उसने बताया कि गिरोह में एक महिला सहित चार लोग हैं।

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एक कॉलोनी में एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से बोरिंग की अनुमति का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने नर्मदा प्रॉजेक्ट में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर अंकित सतीशचंद शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सतीश ने बताया कि वह लंबे समय से फर्जी अनुमतियां तैयार कर रहा था। उसने बताया कि गिरोह में विजयनगर क्षेत्र में रहने वाले नमीत नरला, एक महिला सहित कुछ अन्य शामिल हैं।

उसने बताया कि हमने पहले बाजार से मुहर बनवाने की कोशिश की। मुहर बनाने के लिए दुकानदारों ने जब जिला प्रशासन की लिखित अनुमति मांगी तो यूट्यूब पर इसे बनाने का तरीका सीखा। इसके बाद ऑनलाइन ऑर्डर कर मुहर बनाने की मशीन मंगवाई। जिले के अधिकांश एसडीएम के नाम की मुहर बना ली थी। इसके बाद उनके हस्ताक्षरों के दस्तावेज जुटाए और कई दिनों तक हस्ताक्षर करने का अभ्यास किया। आरोपित ने यह भी बताया कि ज्यादातर अनुमति विजयनगर क्षेत्र के एसडीएम के जाली हस्ताक्षर से जारी की हैं।

सीएसपी पुनित गेहलोत के अनुसार अंकित से हुई पूछताछ के बाद पुलिस ने एक महिला को भी हिरासत में लिया। उससे मुहर बनवाने के संबंध में पूछताछ चल रही है। इस मामले की शिकायत एसडीएम सोहन कनाश ने की थी। बोरिंग माफिया और पुलिसवालों से मिलीभगत की जांच जांच में शामिल अफसरों के मुताबिक ट्यूबवेल के पहले अनुमति की एक प्रति संबंधित थाने में जमा होती थी। सैकड़ों फर्जी अनुमति जारी होने के बाद भी पुलिसवालें उन्हें पकड़ नहीं पाए। उधर, पूछताछ में यह भी बात सामने आई है कि बोरिंग माफिया भी उनसे जाली अनुमति बनाने के लिए संपर्क करते थे। आरोपित एक अनुमति के बदले 25 हजार रुपये लेते थे।


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