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पृथ्वी में मौजूद है 1.85 अरब गीगाटन कार्बन, इसकी बड़ी वजह ज्‍वालामुखी नहीं

एक रिपोर्ट में सामने आया है कि पृथ्‍वी पर होने वाले कार्बन उत्‍सर्जन में सबसे बड़ी भूमिका इंसान की ही है। ज्‍वालामुखी इसकी बेहद छोटी वजह है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:40 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 11:40 AM (IST)
पृथ्वी में मौजूद है 1.85 अरब गीगाटन कार्बन, इसकी बड़ी वजह ज्‍वालामुखी नहीं
पृथ्वी में मौजूद है 1.85 अरब गीगाटन कार्बन, इसकी बड़ी वजह ज्‍वालामुखी नहीं

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पृथ्वी पर मौजूद कुल कार्बन का मात्र 0.2 प्रतिशत ही ऊपरी वायुमंडल और महासागरों में पाया जाता है। अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से किए गए अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। अध्ययन के मुताबिक पूरी पृथ्वी में 1.85 अरब गीगाटन कार्बन मौजूद है। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि जितना कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन ज्वालामुखियों के जरिए होता है उससे कहीं गुना अधिक उत्सर्जन मानवीय गतिविधियों से होता है।

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अमेरिका के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की ओर से किए गए एक दस साल के प्रोग्राम डीप कॉर्बन ऑब्जर्वेटरी (डीसीओ) की रिपोर्ट की एक शृंखला जारी की गई है। इसके माध्यम से पृथ्वी पर कुल कार्बन का अनुमान लगाया गया है। इसमें ज्वालामुखियों द्वारा उत्सर्जित कुल कार्बन डाइऑक्साइड का विश्लेषण भी शामिल है। बताया गया है कि पृथ्वी में कार्बन का जितना उत्सर्जन मानव गतिविधियों की वजह से होता है उसकी तुलना में ज्वालामुखियों से होने वाला उत्सर्जन बहुत कम है। 

ज्वालामुखियों और अन्य प्राकृतिक और मानवीय कारणों से प्रत्येक वर्ष 28 से 36 करोड़ टन कॉर्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जिसमें से केवल मानवीय गतिविधियों जैसे- जीवाश्म ईंधन जलाने, जंगल जलाने आदि से प्रतिवर्ष होने वाला कार्बन उत्सर्जन ज्वालामुखी द्वारा उत्सर्जित कार्बन की तुलना में 40 से 100 गुना अधिक होता है। पृथ्वी के कुल कार्बन का मात्र 0.2 प्रतिशत (43,500 गीगाटन) महासागरों, सतह और वायुमंडल में है। बाकी का 1.845 गीगाटन पृथ्वी के अंदरूनी सतह पर है।

प्रमुख कार्बन उत्सर्जक देश

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक दुनिया का सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जक देश चीन (27 प्रतिशत ) है। इसके बाद अमेरिका (15 प्रतिशत) दूसरे और यूरोपीय यूनियन (10 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर है। चौथे नंबर पर भारत (सात प्रतिशत) है। दुनिया के कुल उत्सर्जन में इन चार जगहों की 58 प्रतिशत हिस्सेदारी है। विश्व के बाकी देश समग्र रूप से 42 फीसद उत्सर्जन करते हैं।

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