पर्यावरण शुद्धता के लिए माटी से किया विवाह
डॉ. महावीर सिंह मलिक, उस शख्सियत का नाम है, जो कृषि विभाग में खंड कृषि अधिकारी के रूप में किसानों को सेवाएं देने में तत्पर रहे ही, अब सेवानिवृत्ति के बाद भी वह किसानों को जल, भूमि व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
सुशील भाटिया, पलवल। डॉ. महावीर सिंह मलिक, उस शख्सियत का नाम है, जो कृषि विभाग में खंड कृषि अधिकारी के रूप में किसानों को सेवाएं देने में तत्पर रहे ही, अब सेवानिवृत्ति के बाद भी वह किसानों को जल, भूमि व पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव फुगाना में जन्मे गांव दीघोट निवासी 60 वर्षीय डा. मलिक जून-2013 में सेवानिवृत्त हुए। वह गांव-गांव घूमकर किसानों को पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हैं। डॉ.मलिक ने मिट्टी की सुरक्षा, पर्यावरण शुद्धता में अपना सर्वस्व योगदान देने को अपने जीवन का ध्येय बनाया।
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वह बताते हैं कि फोरेट,थाइमेट जैसी दवाओं का इस्तेमाल न करें, इनका असर लंबे समय तक जमीन पर बना रहता है, जिससे भूमि व पानी दोनों प्रदूषित होते हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल जमीन में जड़ के कीड़ों के खात्मे के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
डा.मलिक के अनुसार वो जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं, जैसे नीम की खली या ब्यूवेरिया बेशियाना फफूंद कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाए, तो इससे जड़ के कीड़े यानी दीमक आदि मर जाते हैं।