Move to Jagran APP

महात्मा गांधी इतना पैदल चले थे कि पृथ्वी के दो बार चक्कर पूरे हो जाते

ऐसा पहली बार हुआ है कि गांधी के स्वास्थ्य से जुड़ी फाइलों को एक किताब की शक्ल में सामने लाया गया है। किताब में खुलासा है कि कैसे हाई ब्लडप्रेशर के बावजूद बापू खुद को शांत रखते थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 04:23 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 10:28 AM (IST)
महात्मा गांधी इतना पैदल चले थे कि पृथ्वी के दो बार चक्कर पूरे हो जाते
महात्मा गांधी इतना पैदल चले थे कि पृथ्वी के दो बार चक्कर पूरे हो जाते

नई दिल्ली (जेएनएन)। नई दिल्ली के नेशनल गांधी म्यूजियम में सुरक्षित रखी गईं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वास्थ्य से जुड़ी फाइलें पहली बार एक किताब की शक्ल में लोगों के सामने आई है। 'गांधी एंड हेल्थ @ 150' शीर्षक से प्रकाशित इस किताब में खुलासा किया गया है कि 220/110 तक के हाई ब्लडप्रेशर की गिरफ्त में होने के बावजूद बापू कैसे खुद को फ‍िट रख पाते थे।

prime article banner

किताब को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से प्रकाशित कराया गया है। किताब को धर्मशाला में 14वें दलाई लामा द्वारा लॉन्च किया। इस मौके पर दलाई लामा ने कहा कि अहिंसा और मानसिक चिकित्सा पर महात्मा का दर्शन 21वीं सदी में भी प्रासंगिक है। किताब में माहात्मा के स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्ट के हवाले से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1938 में बापू का वजन 46.7 किलोग्राम और उनकी लंबाई पांच फुट पांच इंच थी। बॉडी मास इंडेक्स (17.1-) के लिहाज से यह दशा 'अंडरवेट' कही जाएगी। मौजूदा वक्त में यदि कोई इस हालत में हो तो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, 'उसे ज्यादा और संतुलित भोजन करने साथ नियमित हेल्थ चेकअप की जरूरत है।' इन सबके बावजूद महात्मा ने आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करते हुए देश को स्वतंत्र कराया।

सन 1927 से बापू को हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत सामने आई थी। 19 फरवरी 1940 को बापू का ब्लडप्रेशर 220/110 तक पहुंच गया था। फ‍िर भी बापू जीवित रहे और खुद को शांत बनाए रखा। कुछ महीने बाद बापू ने सुशीला नैयर को एक चिट्ठी लिखी थी। इस पत्र में उन्होंने नैयर से कहा था कि मैं हाई ब्लडप्रेशर के हवाले हूं, मैंने सर्पगंधा की तीन बूंदें ली हैं। इस बीमारी के बावजूद बापू कैसे खुद को फ‍िट रखते थे, इस बारे में किताब के 166वें पेज में खुलासा किया गया है। इस पेज में बताया गया है कि बापू रोज 18 किलोमीटर पैदल चलते थे। यही नहीं 1913 से 1948 तक बापू ने लगभग 79,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। किताब के मुताबिक यह दूरी पृथ्वी की गोलाई के लगभग दोगुने के बराबर है।

मलेरिया की भी चपेट में आए थे बापू

स्वस्थ्य रिपोर्ट में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1925, 1936 और 1944 में बापू तीन बार मलेरिया की चपेट में आए थे। साल 1919 और 1924 में उन्हें अपेंडिक्स और पाइल्स की समस्या हुई थी। जब वह लंदन में थे तब उन्हें प्लूरिसी इन्फ्लामेशन की शिकायत हुई, उनको फेफड़े और छाती में तकलीफ से भी जूझना पड़ा था। बापू अंग्रेजी दवाओं को पसंद नहीं करते थे। बीमारियों के इलाज में उनका भरोसा प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद  पर बड़ा गहरा था।  

ऐसा वक्त जब मौत के करीब पहुंच गए

बापू अपने आहार को लेकर भी प्रयोगधर्मी थे। इस प्रयोग के कारण ऐसे वक्त भी आए जब वह मौत के काफी करीब पहुंच गए। हालांकि शरीर को लेकर उनकी सजगता ने उन्हें इन आकस्मिक संकटों से उबरने में भी मदद की। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी डॉक्टर बलराम भार्गव ने इस किताब में लिखा है कि हाई ब्लड प्रेशर के बावजूद 1937-1940 के दौरान बापू की ईसीजी रिपोर्ट मामूली बदलावों के साथ सामान्य थी।

इन तीन ग्रहों के 'महायोग' ने दिलाई पूरी दुनिया में प्रसिद्धी 

किताब में महात्मा की जन्म कुंडली के बारे में भी बताया गया है। जन्म पत्री के मुताबिक, उनका जन्म दो अक्टूबर 1869 को सुबह 7:45 बजे गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। बापू के जन्म के समय शुक्र, बुध और मंगल की अंतरदशा का योग था जिसने उन्हें संघर्षशील योद्धा बनाया। ज्योतिष के मुताबिक, इसी योग के कारण बापू को पूरी दुनिया में प्रसिद्धी मिली और वे महान जननेता के रूप में उभरे। ज्योतिष विद्या के जानकार इसे 'महान महापुरुष योग' के नाम से जानते हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.