लॉकडाउन में 135 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बिना खाए मजदूर पहुंचा अपने घर, जानें पूरी कहानी
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगे 24 फरवरी को लॉकडाउन के दौरान यात्रा प्रतिबंध के बीच एक 26 साल के मजदूर ने 135 किमी की यात्रा की।
चंदपुर, प्रेट्र। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान यात्रा प्रतिबंध के बीच एक 26 साल के मजदूर ने 135 किमी की यात्रा की। महाराष्ट्र में नागपुर चंद्रपुर स्थित घर पहुंचने के लिए बिना भोजन के यह यात्रा की।
लैकडाउन की घोषणा के बाद लोगों में अफरातफरी
लैकडाउन की घोषणा के बाद लोगों में अफरातफरी महसूस की गई। इसके बाद गरीब लोग अपने घरों की ओर लौटने लगे। पुणे में काम करने वाला मजदूर नरेंद्र शेलके ने चंद्रपुर जिले की साओली तहसील स्थित जम्भ गांव में वापस जाने का फैसला किया। वह पुणे से नागपुर की आखिरी ट्रेन पकड़ने में असफल रहा लेकिन सरकार ने बाद में सभी प्रकार के यात्रा पर प्रतिबंधों को लागू कर दिया और वह नागपुर में फंस गया।
दो दिन तक नहीं किया भोजन, सिर्फ पानी पर जिंदा रहा
इस दौरान कोई सहायता पाने में असमर्थ रहा और उसके लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा। शेल्के ने मंगलवार को चंद्रपुर में अपने गांव पहुंचने के लिए नागपुर-नागभीड रोड पर एक पैदल मार्च शुरू किया। उसने दो दिन कोई भोजन नहीं किया और वह सिर्फ पानी पर जिंदा रहा।
पुलिस ने अस्पताल मं भर्ती कराया
बुधवार रात को नागपुर से लगभग 135 किमी दूर स्थित पुलिस की एक गश्ती दल सिंधवाही तहसील के शिवाजी चौराहे पर एक खाली आश्रय पहुंचा। पुलिस स्टेशन के सहायक निरीक्षक निशिकांत रामटेके ने कहा कि जब पुलिस ने शेल्के से कर्फ्यू के उल्लंघन का कारण पूछा, उसने बताया कि वह अपने घर सिंधेवाही तक पहुंचने के लिए पिछले दो दिनों से चल रहा है। पुलिसकर्मियों ने उसे तत्काल सिंधेवाही के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया।
उसके मेडिकल चेकअप के बाद एक पुलिस उप-इंस्पेक्टर शेलके के लिए अपने घर से एक डिनर बॉक्स लाए। बाद में अस्पताल में डॉक्टरों से छूटने के बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को जाम्भ में ले जाने के लिए एक वाहन की व्यवस्था की। रामटेके ने बताया कि गांव सिंधेवही से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है। अधिकारी ने बताया कि शेल्के को 14 दिन के होम क्वारंटाइन पर रखा गया है।