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सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र में अब होगी कृत्रिम बारिश, सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

महाराष्ट्र सरकार ने इस साल के मानसून के दौरान क्लाउड सीडिंग के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 04:57 PM (IST)
सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र में अब होगी कृत्रिम बारिश, सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये
सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र में अब होगी कृत्रिम बारिश, सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र में भीषण गर्मी के प्रकोप से जनजीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। राज्य के कई इलाके सूखे से जूझ रहे हैं। अब इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार ने इस साल के मानसून के दौरान क्लाउड सीडिंग के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। बता दें कि आर्टिफिशल कहे जाने वाली इस बारिश का इस्तेमाल सबसे पहले महाराष्ट्र में ही किया गया था। इस तकनीक से पहली बार 2003 में महाराष्ट्र की 22 तालुकाओं में बारिश कराई गई थी और इस पर सरकार ने करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसमें संदेह नहीं कि पिछले कुछ समय से दुनिया में कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग तकनीक में काफी दिलचस्पी ली जा रही है। खास तौर से जो देश पानी की कमी झेल रहे हैं वहां जलाशयों को भरने के लिए इस तकनीक को आजमाया जा रहा है। 

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1940 के दशक में अमेरिका में इस तकनीक को इस्तेमाल में लाना शुरू किया गया था और आज करीब 60 देशों में इससे बारिश कराने के छिटपुट प्रयोग हो रहे हैं। अमेरिकी कंपनी वेदर मॉडिफिकेशन एनकॉर्पोरेशन कई देशों में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट चला रही है। कृत्रिम बारिश की एक नई तकनीक का प्रयोग 1990 के दशक में दक्षिण अफ्रीका में किया गया था। वहां हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग का ईजाद किया गया जिसमें बादलों में सोडियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे रसायनों का छिड़काव करके बारिश कराई जाती है। हाल के वर्षो में इसे लेकर चीन और भारत में काफी दिलचस्पी दिखाई गई है। बीजिंग ओलंपिक 2008 के दौरान चीन में जमा हुए बादलों से कृत्रिम बारिश करवाकर खेल आयोजन के वक्त आसमान साफ रखने का प्रयास किया गया था। फिलहाल चीन सालाना करीब डेढ़ करोड़ डॉलर कृत्रिम बारिश पर खर्च कर रहा है।

पानी की मांग को लेकर बवाल
महाराष्ट्र का औरंगाबाद भी पानी की कमी से जूझ रहा है। यहां पानी की मांग को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण गोदावरी बेसिन में पानी छोडऩे की मांग कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जयाजी सूर्यवंशी ने कहा कि सरकार तो हमारी बात नहीं सुन रही है इसलिए हम 'भजन आंदोलन' कर भगवान तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा अगर आज रात तक पानी नहीं छोड़ा गया तो 30 तारीख को हम अधिकारियों के घरों के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे। 

गौरतलब है कि तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के कारण प्रत्येक साल जल संकट भी सामने आ जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही के दिनों में जल संरक्षण विभाग की वेबसाइट पर आंकड़े जारी किए थे। जिसके मुताबिक 18 मई तक राज्य के 26 जलाशयों में जल भंडारण शून्य के आसपास बताया गया था। राज्य सरकार ने बीते साल अक्टूबर में 151 तालुका और 260 मंडलों में सूखे की घोषणा की थी।

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