महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, घर जाने वाले प्रवासियों को अब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं
महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि प्रवासी मजदूर जो अपने मूल स्थानों पर जाना चाहते हैं उन्हें अब मेडिकल सर्टिफिकेट खरीदने की जरूरत नहीं है।
मुंबई, पीटीआइ/एएनआइ। कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से महाराष्ट्र में फंसे प्रवासियों की घर वापसी की बेकरारी बढ़ती जा रही है। यात्रा के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र अनिवार्य किए जाने के बाद मुंबई और आसपास के जिलों में क्लीनिकों पर प्रवासियों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। इनमें कामगार से लेकर छात्र और अन्य लोग शामिल हैं। क्लीनिकों पर प्रवासियों की भारी भीड़ को देखते हुए अब महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि घर वापसी कर रहे प्रवासियों को अब स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी...
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि तय किया गया है कि प्रवासी मजदूर जो अपने मूल स्थानों पर जाना चाहते हैं उन्हें अब मेडिकल सर्टिफिकेट खरीदने की जरूरत नहीं है। अब मजदूरों की केवल थर्मल जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि क्लीनिकों के बाहर लोगों की भीड़ से बचने के लिए यह फैसला लिया गया है।
उधर, बांबे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शहर के सरकारी अस्पतालों में उमड़ रही प्रवासियों की भीड़ को देखते हुए शारीरिक दूरी जैसे नियमों का अनुपालन कराने के लिए पुलिस तैनात करने के निर्देश दिए हैं। मुंबई के जोगेश्वरी, कांदीवली, मलाड, गोरेगांव और मीरा रोड के अलावा पड़ोसी ठाणे और नवी मुंबई की क्लीनिकों पर रोजाना सैकड़ों लोग उमड़ रहे हैं। स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के लिए लोगों से 100-200 रुपये तक लिए जा रहे हैं। डॉक्टरों को यह प्रमाणित करना है कि संबंधित व्यक्ति किसी इन्फ्लूएंजा से पीडि़त नहीं है।
नवी मुंबई की एक क्लीनिक से जांच कराकर लौट रहे 21 वर्षीय दैनिक कामगार वैभव कुमार ने कहा कि वह करीब एक महीने से अपने घर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) लौटना चाहते थे। उम्मीद है कि अब वह घर लौट पाएंगे। डॉक्टर ने जांच के लिए 100 रुपये लिए। उधर, बांबे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के जस्टिस अनिल किलोर ने गुरुवार को सीएच शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए नागपुर के पुलिस आयुक्त को शहर के सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा की उचित व्यवस्था के निर्देश दिए।