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खतरे में महाराष्ट्र सरकार

काफी समय से संकटों में घिरी और विपक्ष को जवाब देने की तैयारियों में जुटी कांग्रेस के सामने उसकी ही अहम सहयोगी पार्टी राकांपा ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सिंचाई घोटाले के आरोपों में घिरे पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार दोपहर अचानक इस्तीफा देकर पृथ्वीराज चह्वाण सरकार को खतरे में डाल दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2012 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2012 09:21 PM (IST)
खतरे में महाराष्ट्र सरकार

मुंबई, जागरण न्यूज नेटवर्क। काफी समय से संकटों में घिरी और विपक्ष को जवाब देने की तैयारियों में जुटी कांग्रेस के सामने उसकी ही अहम सहयोगी पार्टी राकांपा ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सिंचाई घोटाले के आरोपों में घिरे पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार दोपहर अचानक इस्तीफा देकर पृथ्वीराज चह्वाण सरकार को खतरे में डाल दिया है। अजित ने इस्तीफा देते समय कहा कि वह निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाने के लिए पद छोड़ रहे हैं और उनका सरकार को अस्थिर करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन देर शाम राज्य के 43 सदस्यीय मंत्रिमंडल में राकांपा के बाकी 19 मंत्रियों ने भी प्रदेश अध्यक्ष मधुकर पिचाड़ को अपने इस्तीफे सौंप दिए।

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अजित के साथ मजबूती से खड़ी राकांपा अब भी कह रही है कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है। खुद शरद पवार ने कहा कि अजित के अलावा कोई इस्तीफा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार को अस्थिर नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद अजित पवार गुट के विधायकों के कड़े रुख को देखते हुए राज्य सरकार के लिए खतरा बरकरार है। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में काग्रेस के 82 विधायक हैं, जबकि राकांपा विधायकों की संख्या 61 है। अगर राकांपा अपना समर्थन वापस ले लेती है, तो मौजूदा हालात में सरकार गिरना तय माना जा रहा है। विपक्ष में शिवसेना के 45 और भाजपा के 47 विधायक हैं। मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेजने के बाद पवार ने कहा कि वह आरोपों की किसी भी प्रकार की जांच का सामना करने के लिए तैयार है। इसीलिए मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे है। उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने का निर्णय लेने से पहले पार्टी नेतृत्व से विचार-विमर्श किया था और सहमति के बाद ही यह कदम उठाया।

पवार के इस्तीफे के तुरंत बाद राकांपा विधायकों के एक वर्ग ने सत्तारूढ़ गठबंधन से हटने और सरकार को बाहर से समर्थन देने की मांग की। इन विधायकों का कहना है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं के सहयोग से पार्टी नेताओं को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई है। राकांपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट किया है कि पार्टी सरकार में बनी रहेगी।

अजित पवार ने बताया कि उन्होंने राकांपा के जयंत पटेल के नाम की वित्त मंत्री और राजेश टोपे के नाम की ऊर्जा मंत्री के लिए सिफारिश की है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राकांपा का राजनीतिक कद बढ़ रहा है और कुछ लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं। इसलिए राकांपा को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। अजित पवार ने वर्ष 1999-2009 के बीच जल संसाधन मंत्री रहते हुए 20 हजार करोड़ रुपये की 38 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी। आरोप है कि उन्होंने विदर्भ सिंचाई विकास निगम की मंजूरी के बिना ज्यादा कीमत पर परियोजनाओं को अनुमति दी। निगम के अलावा कई अन्य विभागों से भी जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी।

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