गोवा और कर्नाटक के मुकाबले अधिक प्रदुषित हैं महाराष्ट्र के समुद्री किनारे, वजह है 'प्लास्टिक'
प्लास्टिक की बदौलत महाराष्ट्र के समुद्री तट प्रदुषित हो रहे हैं। यहां के समुद्री किनारे कर्नाटक और गोवा से भी गंदे हैं।
पणजी, प्रेट्र। एक नए अध्ययन के मुताबिक, गोवा और कर्नाटक के मुकाबले महाराष्ट्र के बीच (समुद्री किनारे) प्लास्टिक प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित हैं। सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के कणों ने इसकी खूबसूरती बिगाड़ कर रख दी है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने समुद्री किनारों के पास स्थित प्लास्टिक उद्योग और पर्यटकों द्वारा लाई जाने वाली प्लास्टिक को जिम्मेदार ठहराया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसियनोग्राफी (एनआइओ) द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि हाई टाइड (ज्वार) के दौरान गोवा और कर्नाटक के मुकाबले महाराष्ट्र के बीचों पर सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण देखने को मिला है। यहां सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म प्लास्टिक प्रचुर मात्र में मिलना इस बात का संकेत देता है कि ये प्लास्टिक के कण पास के प्लास्टिक व पेट्रोलियम उद्योग, बंदरगाह और पर्यटन की बढ़ती गतिविधियों के कारण फैल रहे हैं।
‘असेस्मेंट ऑफ मैक्रो एंड माइक्रो प्लास्टिक्स अलॉग द वेस्ट कोस्ट ऑफ इंडिया’ नामक शीर्षक वाला यह अध्ययन बीते सप्ताह नीदरलैंड्स के जर्नल केमोस्फियर में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने बीते दो साल में देश के पश्चिमी घाट के 10 बीचों की पड़ताल की और यह समझने का प्रयास किया कि इस क्षेत्र में सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के कारण समुद्री जीवों का कितना नुकसान पहुंचा है।
एनआइओ के वैज्ञानिक डॉ. महुआ साहा और डॉ. दुशमंत महाराणा के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि इन सभी बीचों पर शोधकर्ताओं को कई रंगों का (सफेद, पीला, भूरा, नीला, लाल) विषाक्त प्लास्टिक का कचरा मिला, जिसने समुद्री किनारों की सुंदरता भी बिगाड़ कर रख दी है।
शोधकर्ताओं ने कहा, ‘प्लास्टिक के कचरे से सबसे ज्यादा समुद्री जीवों को नुकसान पहुंचता है। यदि उन्हें बचाकर जैव-विविधता बनाए रखनी है तो इस कचरे के निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। इसमें सरकार की नीतियां सबसे ज्यादा असरदार हो सकती हैं। प्लास्टिक को फेंकने की बजाय इसकी रिसाइकिंल और सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने से फायदा हो सकता है।