बोधगया ब्लास्ट में इस्तेमाल टाइमर बना था गुजरात में
महाबोधि मंदिर (बोधगया) सीरियल ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ टाइमर राजकोट (गुजरात) में बना था। इसकी खरीद गुवाहाटी में हुई थी। ब्लास्ट को जांच रही एनआइए की टीम असम, अरुणाचल प्रदेश व नगालैंड के इलाकों को भी खंगाल रही है। ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि इस कांड में म्यांमार व बांग्लादेश के आतंकियों का भी हा
जागरण टीम, नई दिल्ली। महाबोधि मंदिर (बोधगया) सीरियल ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ टाइमर राजकोट (गुजरात) में बना था। इसकी खरीद गुवाहाटी में हुई थी। ब्लास्ट को जांच रही एनआइए की टीम असम, अरुणाचल प्रदेश व नगालैंड के इलाकों को भी खंगाल रही है। ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि इस कांड में म्यांमार व बांग्लादेश के आतंकियों का भी हाथ हो सकता है।
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पिछले सात जुलाई को बुद्ध की ज्ञानस्थली (महाबोधि मंदिर) के परिसर व आसपास के क्षेत्रों में एक के बाद कुल दस धमाके हुए थे। दो भिक्षु घायल हो गए थे। दस बम फटे थे। तीन नहीं फटे।
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एजेंसी की खबरों में बताया गया है कि इस सीरियल ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ टाइमर (घड़ी) लोट्स ब्रांड का है। यह गुजरात के राजकोट में बना था और इसे गुवाहाटी के किसी दुकान से खरीदा गया था। मगर सिलिंडर की खरीद स्थानीय स्तर पर हुई। इस आधार पर जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इस कांड में आतंकियों ने अपने स्थानीय संपर्को के भरपूर उपयोग के बूते अंजाम दिया। एक अन्य खबर के मुताबिक बम लगाने वालों में से एक मगही (मध्य बिहार की स्थानीय भाषा) बोल रहा था। याद रहे कि आतंकियों द्वारा लगाए गए कई बम नहीं फटे थे। इसमें लगी घड़ियों (टाइमर) की जांच से उक्त जानकारी हुई है। घड़ी लोट्स कंपनी की है। सूचना है कि घड़ियों की पूरी खेप गुवाहाटी भेजी गयी थी लेकिन किसी खरीददार ने एक दुकान से केवल कुछ ही घड़ियां खरीदीं। सूत्रों के अनुसार जांचकर्ताओं को पर्याप्त संकेत मिले हैं कि सीरियल ब्लास्ट को अंजाम देने वालों में मंगोलियाई नैन नक्श वाले लोग शामिल हो सकते हैं। याद रहे कि जांच एजेंसी ने इस मामले में संदिग्ध का स्केच व वीडियो फुटेज भी जारी किया है। इसमें म्यांमार के रोहिन्गिया जमात के शामिल होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि ये विस्फोट म्यांमार में रोहिन्गिया जमात के खिलाफ हुई हिंसा की प्रतिक्रिया स्वरूप किए गए। ब्लास्ट में महाबोधि मंदिर और बोधि वृक्ष को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्री गया दर्शन के लिए आते हैं। इनमें से अधिकांश श्रीलंका, म्यांमार, चीन, जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के होते हैं।
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