फिर लौट आई मैगी, इसी महीने से लीजिए 'दो मिनट मैगी नूडल्स' का मजा
अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले एक पखवाड़े के भीतर आप फिर से 'दो मिनट मैगी नूडल्स' का मजा ले सकेंगे। कंपनी की फैक्टि्रयों में मैगी फिर से तैयार हो रही है। इसे बंबई उच्च न्यायालय की तरफ से नामित तीन जांच प्रयोगशालाओं की तरफ से सही भी पाया
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले एक पखवाड़े के भीतर आप फिर से 'दो मिनट मैगी नूडल्स' का मजा ले सकेंगे। कंपनी की फैक्टि्रयों में मैगी फिर से तैयार हो रही है। इसे बंबई उच्च न्यायालय की तरफ से नामित तीन जांच प्रयोगशालाओं की तरफ से सही भी पाया गया है। प्रयोगशालाओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मैगी में सीसे की मात्रा निर्धारित मानदंड से काफी कम है। इसके आधार पर कंपनी ने कहा है कि वह इस महीने से ही बाजार में मैगी को उतारने की तैयारी में जुटी है।
नेस्ले इंडिया ने कहा है कि हाई कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन होने के बाद कंपनी राज्य स्तर पर भी एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं, ताकि अगर कोई अन्य मंजूरी लेनी हो तो वह प्रक्रिया भी पूरी की जा सके। कंपनी अभी नांजनगुढ (कर्नाटक), मोगा (पंजाब) और बिचोलिम (गोवा) में मैगी का निर्माण कर रही है। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश के तहिलवाल और उत्तराखंड के पंतनगर में भी मैगी बनाने की तैयारी है। इसके लिए राज्य सरकारों से आवश्यक मंजूरी लेने की कोशिश की जा रही है। कंपनी का प्रयास होगा कि इस महीने से ही मैगी को भारतीय बाजार में बिक्री के लिए पेश कर दिया जाए।
नेस्ले ने पिछले कुछ हफ्तों के भीतर 20 लाख मैगी के पैकटों में 3,500 परीक्षण करवाए हैं। ये परीक्षण राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करवाये गए हैं। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और उन तमाम देशों की एजेंसियों से भी टेस्ट करवाया गया है, जहां भारत निर्मित मैगी का निर्यात किया जाता है। हर जगह मैगी को खाने के लिए सुरक्षित करार दिया गया है। कंपनी ने कहा है कि वह देश की सबसे बड़ी खाद्य नियामक एजेंसी एफएसएसएआइ और राज्य सरकारों के तहत गठित अन्य एजेंसियों के साथ भी लगातार संपर्क में है।
अगर कंपनी की योजना सफल हो जाती है तो मैगी भारतीय बाजार में लगभग छह महीने के अंतराल के बाद बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। जून, 2015 में एफएसएसएआइ की तरफ से मैगी में निर्धारित मात्रा से ज्यादा सीसा पाए जाने की रिपोर्ट मिली थी। उसके बाद से देश के अधिकांश राज्यों ने मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी। केंद्र सरकार और राज्य की अन्य एजेंसियों ने भी मैगी पर दावे ठोक दिए। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने भी कंपनी पर दावा ठोक दिया। इसके बाद कंपनी ने भी मैगी की बिक्री रोकने का एलान किया। फिर देश के बाजारों में उपलब्ध 30 हजार टन मैगी को वापस लेकर नष्ट किया गया। इस पर कंपनी के 3,50 करोड़ रुपये खर्च हुए।