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मद्रास HC से सौ मामलों की फाइलें गायब, अदालत ने दिया CBI जांच का आदेश

हाई कोर्ट ने इस तरह से फाइलों के गायब होने को बरमूडा ट्रेंगल में जहाज लापता होने जैसा मानते हुए सीबीआइ को जांच का आदेश दिया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 09:41 AM (IST)
मद्रास HC से सौ मामलों की फाइलें गायब, अदालत ने दिया CBI जांच का आदेश
मद्रास HC से सौ मामलों की फाइलें गायब, अदालत ने दिया CBI जांच का आदेश

चेन्नई [ प्रेट्र ] । मद्रास हाई कोर्ट ने सौ मामलों की फाइलें गायब होने को गंभीरता से लिया है। मामले से संबंधित ये कागजात एक न्यायाधीश के आवास पर भेजे गए थे। अब वह न्यायाधीश रिटायर हो चुके हैं। हाई कोर्ट ने इस तरह से फाइलों के गायब होने को बरमूडा ट्रेंगल में जहाज लापता होने जैसा मानते हुए सीबीआइ को जांच का आदेश दिया है। ये फाइलें हाई कोर्ट के तत्कालीन सीटिंग न्यायाधीश जस्टिस टी. मतिवनन के आवास पर भेजी गई थीं।

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पिछले वर्ष मई में वह रिटायर हो चुके हैं। जस्टिस जी. जयचंद्रन ने एक दिन पहले बुधवार को सीबीआइ को मामले की जांच का आदेश दिया। जस्टिस ने अपने आदेश में कहा है कि चार्टर्ड हाई कोर्ट से मामलों का रिकार्ड गायब होने पर इस अदालत को हैरत है। गायब रिकार्ड कोर्ट रिकार्ड भी हैं। यह चिंताजनक है कि मामले के फाइलों की संख्या सौ में है। इनकी गुमशुदगी बरमूडा ट्रेंगल में जहाज के लापता होने जैसा है।

'लापता रिकार्ड को फिर से तैयार करना प्रशासनिक पक्ष का समाधान हो सकता है। लेकिन तथ्य यह है कि रिटायर न्यायाधीश के आवास से 100 मामलों की फाइलें वापस नहीं लौटीं। इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस तरह पता चला एक याची ने अदालत को बताया कि उसके अनुरोध को जस्टिस मतिवनन ने 21 मार्च 2017 को अनुमति दी थी। खुली अदालत में आदेश की घोषणा की थी, लेकिन उन्हें अभी तक लिखित आदेश की प्रति नहीं मिली है।

जब यह मामला मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी के ध्यान में लाया गया तो उन्होंने मामले की फाइल फिर से तैयार करने का निर्देश दिया और मामला जस्टिस जयचंद्रन को सौंप दिया। हर मामले में पूर्व न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित रखा था मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश को सूचित किया गया कि पूर्व न्यायाधीश ने जिन मामलों में फैसला सुरक्षित रख लिया था या खुली अदालत में आदेश की घोषणा कर दी थी, उसकी प्रति नहीं मिल रही है।

रजिस्ट्री के जांच आदेश में पता चला है कि करीब 100 मामलों में जस्टिस मतिवनन ने फैसला सुरक्षित रखा था जिसका पता नहीं चल रहा है। ऐसे लापता मामलों में से 10 में सीबीआइ अभियोजन एजेंसी है।


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