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हाई कोर्ट का निर्देश, पेड़ सूखे तो जाओगे जेल; निगरानी करती है पुलिस

पौधों में से किसी आरोपित के पौधे खराब तो नहीं हो गए नियमित अंतराल पर इसकी जांच रिपोर्ट तैयार कर अदालत को सूचित करने का जिम्मा पुलिस को सौंपा गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 09:17 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 01:18 AM (IST)
हाई कोर्ट का निर्देश, पेड़ सूखे तो जाओगे जेल; निगरानी करती है पुलिस
हाई कोर्ट का निर्देश, पेड़ सूखे तो जाओगे जेल; निगरानी करती है पुलिस

शिवप्रताप सिंह जादौन, मुरैना। मप्र के मुरैना जिले में एक ऐसा जंगल भी है, जहां लगे पेड़ों को देखने पुलिस भी पहुंचती है। ऐसा नहीं है कि यह पुलिस का पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़-पौधों के लिए प्रेम हो, बल्कि ड्यूटी के लिए ये पुलिस की मजबूरी है। दरअसल, ये पेड़ हैं जमानत के, जिन्हें आपराधिक मामलों में आरोपितों ने हाई कोर्ट के आदेश पर लगाया है। यदि इन पेड़ों के रख रखाव में लापरवाही बरती जाती है तो आरोपितों की जमानत निरस्त हो सकती है, यह कोर्ट की शर्त है, जिसके आधार पर जमानत दी गई है।

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इसलिए आरोपित भी हर हफ्ते इन पेड़-पौधों को सुरक्षित रखने के लिए न सिर्फ पैसे खर्च करते हैं बल्कि समय-समय पर खुद निताई-गुढ़ाई के साथ खाद पानी भी देते हैं। मुरैना की देवरी पंचायत के अंतर्गत बने पितृवन में जमानत के रूप में ऐसे लगभग 200 पेड़ लगाए जा चुके हैं। मुरैना जिले से करीब 5 किमी दूर क्वारी नदी के किनारे देवरी पंचायत के बीहड़ हैं।

बीहड़ में करीब 4 साल पहले प्रशासन और शहर के समाजसेवियों की पहल पर एक ऐसा जंगल तैयार किया गया है, जहां लोग अपने पूर्वजों और जीवन के यादगार दिनों की स्मृति में पौधे लगाते हैं। इन पौधों की देखरेख कल्पवृक्ष सेवा समिति द्वारा की जाती है। पितृवन नाम से संरक्षित किए गए इस स्थान पर अब तक 2 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। 2 हजार पौधों में 200 पौधे ऐसे हैं, जिन्हें दुष्कर्म, जालसाजी, मारपीट और दहेज प्रताड़ना के मामलों में आरोपितों ने लगाया है। यह पेड़ असल में इन लोगों की कोर्ट में जमानत के रूप में हैं।

आरोपित उठा रहे हैं खर्च: ग्वालियर हाई कोर्ट (खंडपीठ) ने बीते पांच माह में एक दर्जन के करीब आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत देवरी पंचायत में 200 के करीब पेड़ लगे हैं। यह पेड़ पितृवन में कल्पवृक्ष सेवा समिति द्वारा पाले पोसे जा रहे हैं। इसका खर्च इन पेड़ों को लगाने वाले आरोपित उठा रहे हैं। हर हफ्ते इनकी देख-रेख की चिंता आरोपितों को यहां खींच लाती है। पेड़ खराब न हो जाएं या सूख न जाएं, इसकी चिंता भी आरोपित करते हैं और हर हफ्ते यहां आते हैं। पूरी तन्मयता से इनकी देखभाल करते हैं। खुद खुरपी और दूसरे औजार लेकर इन पौधों की निताई-गुढ़ाई करते हैं और साथ ही खाद पानी देते हैं। स्थिति यह है कि आरोपितों ने अपने पौधों की पहचान के लिए इनके चारों ओर अलग से जाली लगाकर अपने नाम की प्लेट भी लगाई हैं।

अदालत को सूचित करने का जिम्मा पुलिस : मजेदार बात यह कि पितृवन में लगाए गए पौधों में से किसी आरोपित के पौधे खराब तो नहीं हो गए, नियमित अंतराल पर इसकी जांच रिपोर्ट तैयार कर अदालत को सूचित करने का जिम्मा पुलिस को सौंपा गया है। हर माह स्थानीय सिविल लाइंस थाने के बीट इंचार्ज यहां आते हैं और पेड़ों को दखेते हैं, रिपोर्ट तैयार करते हैं। पितृ वन की संचालनकर्ता कल्प वृक्ष सेवा समिति भी आरोपितों को समय-समय पर सर्टिफिकेट देती है, जिसे आरोपित कोर्ट में पेश कर बताते हैं कि उनकी जमानत के पेड़ सही सलामत हैं।

कल्पवृक्ष सेवा समिति के अध्यक्ष अतुल माहेश्वरी ने बताया कि पितृ वन में जमानत के तौर पर न्यायालय के आदेशों पर पौधे लगाए गए हैं। पौधे ठीक से लगे हैं, इस बात का सर्टिफिकेट समिति जारी करती है। पुलिस भी आकर पौधों को देखती है। पौधे खराब होने पर जमानत निरस्त मानी जाए, इस तरह की शर्त है। इसलिए आरोपित भी यहां हफ्ते दो हफ्ते में आकर श्रमदान करते हैं।


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