महिला ने 35 मिनट में दिया 6 बच्चों को जन्म, डिलीवरी कराने में डॉक्टरों के भी छूटे पसीने
बड़ौदा निवासी मूर्ति की पहली डिलीवरी थी। प्रसव पीड़ा उठने के बाद शनिवार को उसे बड़ौदा अस्पताल से श्योपुर रेफर किया गया था। जहां उसने छह बच्चों को जन्म दिया।
नईदुनिया, श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला अस्पताल में शनिवार को एक महिला ने छह बच्चों को जन्म दिया, लेकिन दुखद यह है कि इनमें से पांच ने जन्म के मात्र 10 घंटे के भीतर ही दम तोड़ दिया। छठे बालक की भी हालत नाजुक बनी हुई है। इन सभी बच्चों का कुल वजन एक नवजात शिशु के औसत वजन से भी कम था, इसलिए चिकित्सकों ने उनके जीवित बचने की संभावना बेहद कम बताई थी।
नवजात शिशुओं में चार बालक और दो बालिकाएं थीं। प्रसव नौ माह के बजाय छह माह एक दिन में ही हो गया था। दोनों बच्चियों ने तो जन्म के कुछ ही देर बाद दम तोड़ दिया था। सुबह 10 बजे जन्मे इन बच्चों में से तीन और की रात आठ बजे मौत हो गई। शेष एक लड़के की हालत समाचार लिखे जाने तक नाजुक बनी हुई थी। उसका श्योपुर के जिला अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में इलाज चल रहा था। हालांकि, प्रसूता की हालत खतरे से बाहर है।
35 मिनट में नॉर्मल डिलीवरी
श्योपुर जिले की बड़ौदा तहसील निवासी मूर्ति पत्नी विनोद माली की यह पहली डिलीवरी थी। शनिवार को उसे प्रसव पीड़ा के बाद स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। चूंकि समयपूर्व डिलीवरी का यह जटिल मामला था, इसलिए मूर्ति को श्योपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल के प्रसूति वार्ड में जाते ही मूर्ति की नॉर्मल डिलीवरी हो गई। करीब 35 मिनट में मूर्ति ने छह बच्चों को जन्म दिया। इनका वजन 450 ग्राम से लेकर 780 ग्राम तक था, इसलिए उनकी नाजुक हालत को देखते हुए तत्काल एसएनसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। दोनों बालिकाएं सबसे कमजोर थीं। उनका वजन 400 से 490 ग्राम ही था।
सोनोग्राफी में पता चला
प्रसूता मूर्ति की तेज प्रसव पीड़ा के चलते डॉक्टरों ने उनकी सोनोग्राफी कराई। जांच में पता चला कि उसके गर्भ में दो-तीन नहीं पूरे छह बच्चे हैं। यह पता लगते ही न सिर्फ मूर्ति और उसके स्वजन बल्कि डॉक्टर-नर्स भी हैरत में पड़ गए।
एक स्वस्थ नवजात के बराबर सबका वजन
मूर्ति के सभी छह नवजात बच्चों का कुल वजन 3.665 किलोग्राम था। चार बालकों का वजन क्रमश: 615, 640, 690 और 780 ग्राम था। डॉक्टरों के अनुसार एक स्वस्थ नवजात शिशु का औसत वजन 3.500 किलोग्राम होता है। इस हिसाब से सभी छह नवजातों का वजन एक औसत नवजात के बराबर है।
श्योपुर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरबी गोयल ने बताया कि महिला का प्रसव नौ के बजाय सातवें माह से भी पहले हुआ है। बच्चों की हालत नाजुक थी। डॉक्टरों की टीम उनकी सेहत पर पल-पल नजर रखे हुए थी। प्रसूता की सेहत सामान्य है।
लाखों में होते हैं ऐसे केस
प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नीतू सिकरवार ने बताया कि तीन से चार बच्चों के केस तो देखने में आते हैं, लेकिन छह बच्चों के केस लाखों में एक होते हैं। बच्चेदानी में इतने बच्चे नहीं आ पाते, इस वजह से छह से सात महीने में ही डिलीवरी हो जाती है। अगर बच्चे डेढ़-डेढ़ किलो वजन तक के भी होते तो उनके बचने की संभावनाएं बढ़ जातीं। इससे कम वजन के बच्चों के बचने की संभावना बहुत कम रहती है। ऐसे बच्चों के समुचित इलाज की व्यवस्था भी श्योपुर जैसी जगहों पर नहीं हो पाती।