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स्‍कूली लड़कियों ने डर के साये में गुजारी रात, कुंडी तक नहीं थी गेट बंद करने को

दीपा विल्वे ने बताया कि हमें जिस कमरे में ठहराया है, उसका गेट अंदर से बंद करने की कुंडी ही नहीं थी। हमारे साथ कोई महिला कोच या प्रबंधक भी नहीं ठहरी थीं।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 10:07 AM (IST)
स्‍कूली लड़कियों ने डर के साये में गुजारी रात, कुंडी तक नहीं थी गेट बंद करने को
स्‍कूली लड़कियों ने डर के साये में गुजारी रात, कुंडी तक नहीं थी गेट बंद करने को

इंदौर, नईदुनिया। शिक्षा विभाग द्वारा शहर में आयोजित अंडर-14 साफ्टबॉल शिविर में हिस्सा लेने के आए प्रदेश के अन्य शहरों के खिलाड़ियों को ऐसी जगह ठहराया गया, जहां न तो सुरक्षा की कोई व्यवस्था थी, न खाने की। यहां मौजूद 7 लड़कियों को जिस कमरे में ठहराया गया, उसमें गेट को अंदर से बंद करने के लिए कुंडी तक नहीं थी। ऐसे में इन बच्चियों ने डर के साये में रात गुजारी। शिकायत मिलने पर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी बच्चों को मल्हार आश्रम स्थित होस्टल में शिफ्ट करवाया।

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शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश की शालेय टीम का तैयारी शिविर चिमनबाग मैदान पर 31 जनवरी से 6 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। यहां से टीम नागपुर में 8 फरवरी से आयोजित राष्ट्रीय शालेय स्पर्धा में हिस्सा लेगी। शहर के बाहर से आए 17 बच्चों को मल्हारगंज स्थित मिडिल स्कूल में ठहराया गया था। यहां अधिकांश लड़कियों की उम्र 13 साल है।

देवास की दीपा विल्वे ने बताया कि हमें जिस कमरे में ठहराया है, उसका गेट अंदर से बंद करने की कुंडी ही नहीं थी। हमारे साथ कोई महिला कोच या प्रबंधक भी नहीं ठहरी थीं। हम पत्थर से गेट बंद करते थे और रातभर डरते हुए निकालते थे। खिड़कियों के फूटे कांच के कारण अंदर का सब दिखता था। इसलिए हमने एक गद्दे से खिड़की को बंद किया।

दीपा ने आगे बताया कि शुरू के तीन दिन खाना भी बहुत खराब था, जिससे कई खिलाड़ियों की तबियत बिगड़ गई। यहां बाथरूम में पानी की उचित व्यवस्था नहीं है और गंदगी बहुत है। ऐसी ही शिकायत लड़कों ने भी की।

सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने व्यवस्थाओं की जानकारी प्रशासन को भी नहीं दी थी। जैसे ही प्रशासन को शिकायत मिली, तुरंत मौके पर व्यवस्था जांची गई और खिलाड़ियों को बेहतर जगह ठहराया गया।

प्रशासनिक अधिकारी देवेंद्र चौबे और मकेश वर्मा ने बताया, 'हमें जिला पंचायत सीईओ खुरासिया ने तुरंत जांच के आदेश देते हुए बच्चों की बेहतर व्यवस्था करने को कहा है। हमें यहां व्यवस्थाएं ठीक नहीं दिखीं, इसलिए तुरंत सभी को मल्हारआश्रम स्थित होस्टल में ठहराया जा रहा है, ताकि बच्चों को कोई परेशानी न हो और वे अपने खेल पर ध्यान केंद्रीत कर सकें।

जिला शिक्षा विभाग की खेल अधिकारी रश्मि दीक्षित ने कहा, 'हमने खिलाड़ियों को छीपा-बाखल बालिका माध्यमिक विद्यालय में ठहराया था। प्रशासन के आदेश के बाद तत्काल सभी को मल्हार आश्रम स्थित होस्टल में शिफ्ट कर दिया है। लड़कियों के साथ जिन महिला कोच की ड्यूटी थी, वे दोनों नहीं आई थीं। शिविर 31 जनवरी से लगा, जबकि हमें 1 फरवरी को स्पष्ट हुआ कि महिला शिक्षिकाएं नहीं हैं। ऐसी स्थिति में हमने स्थानीय व्यवस्था की। हालांकि वे रात को नहीं रुक रही थीं। अब वे रुकेंगी।'


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