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ओबीसी आरक्षण 14 से 27 फीसद करने पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, जानें क्‍या दी गई दलीलें

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सूबे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसद किए जाने पर पूर्व में लगाई गई अंतरिम रोक को बरकरार रखी है। अदालत ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए समय प्रदान कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 06:02 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 06:02 AM (IST)
ओबीसी आरक्षण 14 से 27 फीसद करने पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, जानें क्‍या दी गई दलीलें
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षण 27 फीसद किए जाने पर रोक को बरकरार रखा है।

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर स्थित मुख्यपीठ ने प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसद किए जाने पर पूर्व में लगाई गई अंतरिम रोक को बरकरार रखी है। इसी के साथ इस मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर तक बढ़ा दी गई। बुधवार को प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव एवं जस्टिस बी. श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

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अदालत ने राज्य शासन को चार याचिकाओं पर जवाब एवं याचिकाकर्ताओंको प्रत्युत्तर देने के लिए समय प्रदान कर दिया। जबलपुर निवासी छात्रा आकांक्षा दुबे सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य शासन का आठ मार्च 2019 को जारी संशोधन अध्यादेश अवैधानिक है। ओबीसी आरक्षण में संशोधन के कारण प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़कर 27 फीसद जबकि कुल आरक्षण का 50 से बढ़कर 63 फीसद हो गया है।

सनद रहे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत 50 फीसद से अधिक आरक्षण किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकता है। एक अन्य याचिका में कहा गया कि एमपीपीएससी ने नवंबर-2019 में 450 शासकीय पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया में 27 फीसद पद पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित कर लिए। शांतिलाल जोशी सहित पांच छात्रों ने एक अन्य याचिका में कहा कि 28 अगस्त 2018 को मध्‍य प्रदेश सरकार ने 15,000 उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षकों लिए विज्ञापन प्रकाशित कर भर्ती परीक्षा कराई।

बीते 20 जनवरी 2020 को सरकार ने इन पदों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने की नियम निर्देशिका जारी कर दी थी। अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र पाठक, शिवेश अग्निहोत्री, रीना पाठक, राममिलन ने दलील दी थी कि भर्ती प्रक्रिया 2018 में आरंभ हुई लेकिन राज्य सरकार ने 2019 का अध्यादेश इसमें लागू किया जो अनुचित है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का अध्यादेश 19 मार्च 2019 में स्थगित कर चुका है।

ऐसे में किसी भी सरकारी भर्ती या शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया में 14 फीसद से अधिक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, प्रमेंद्र सेन जबकि राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव मौजूद रहे। 


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