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गीत और संगीत से दे रहीं टीकाकरण का संदेश, खुद के खर्च पर रिकॉर्ड करवाए गीत

परंपरागत आदिवासी परिधान में स्वरचित गीत व नृत्य के माध्यम से जागरूकता फैला रहीं एएनएम, खुद लिखती हैं गीत और उसे संगीत के साथ करवाती हैं रिकॉर्ड, लोग हो रहे प्रभावित

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 10:33 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 10:34 AM (IST)
गीत और संगीत से दे रहीं टीकाकरण का संदेश, खुद के खर्च पर रिकॉर्ड करवाए गीत
गीत और संगीत से दे रहीं टीकाकरण का संदेश, खुद के खर्च पर रिकॉर्ड करवाए गीत

विवेक पाराशर, बड़वानी (मप्र)। जले में बहुसंख्यक जनजातीय समाज में सुख-दुख के हर मौके पर लोकगीत गाने व लोक संगीत की परंपरा है। इसी परंपरा को स्वास्थ्य विभाग की एएनएम ने टीकाकरण के लिए जागरूकता का माध्यम बनाया है। जिला मुख्यालय के समीप ही ग्राम बड़वानी-खुर्द (नानी-बड़वानी) में पदस्थ एएनएम (आक्जीलरी नर्स मिडवाइफ) चंद्रलता सोलंकी टीकाकरण का संदेश देने के लिए परंपरागत परिधान में गांवों में पहुंचती हैं। स्वरचित गीतों को संगीत के साथ रिकॉर्ड करवाकर उन्हीं गीतों पर नृत्य करते हुए वे जनजागरूकता संदेश देती हैं। उनका यह अनूठा तरीका ग्रामीणों में आकर्षण का कें द्र बना हुआ है।

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वर्तमान में मीजल्स व रबेला जैसी बीमारियों से बचाव के लिए सरकार का टीकाकरण अभियान चल रहा है। सोलंकी ने बताया कि वे स्कूलों, गांवों, फलियों, चौपालों में जाकर क्षेत्रीय बोली में लिखे खुद के गीतों को बजाकर नृत्य करती हुई टीकाकरण का संदेश देती हैं। इसके चलते बच्चों में टीकाकरण का भय खत्म हो जाता है। सामान्य तौर पर बच्चे टीकाकरण की जानकारी घर पर दर्द के साथ देते हैं लेकिन नृत्य के साथ टीकाकरण के बाद वे खुशी-खुशी बताते हैं कि उन्होंने नाच-गाना कि या। इन गीतों के माध्यम से घर वाले भी जागरूक होते हैं और उन्हें टीकाकरण को लेकर कोई भ्रांति या आपत्ति नहीं रहती।

लोकप्रिय है तरीका

जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. वीबी जैन ने बताया कि क्षेत्र के कु छ अध्यापकों ने भी गीत रचना कर टीकाकरण अभियान में अपना योगदान दिया है लेकि न सोलंकी का विशिष्ट तरीका सबसे अनूठा व लोकप्रिय है। इससे वे टीकाकरण का संदेश देकर 100 प्रतिशत लक्ष्यपूर्ति करवाने में मदद कर रही हैं। डॉ. जैन ने बताया कि अब तक जिले में करीब 2 लाख 60 हजार से अधिक बच्चों को मीजल्स और रबेला के टीके लगाए जा चुके हैं।

खुद के खर्च पर रिकॉर्ड करवाए गीत

चंद्रलता ने बताया कि वे गीत लिखकर इसे स्टूडियो में संगीतबद्ध करवाती हैं और उसे रिकॉर्ड करवाती हैं। रिकार्डेड गीत मोबाइल या पेन ड्राइव में लेकर क्षेत्र में निकल जाती हैं। गीत बजाकर आकर्षक वेशभूषा में नृत्य भी करती हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनके पति ने उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहित कि या, इसके चलते वे इस मिशन में अपनी विशिष्ट सहभागिता दे पाईं। सोलंकी के मुताबिक एक गाना रिकॉर्ड करवाने में साढ़े पांच हजार रुपए तक लग जाते हैं। इसके पूर्व उन्होंने परिवार नियोजन, स्वच्छता मिशन और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी गीत लिखकर उन्हें रिकॉर्ड कराया है।


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