कमलनाथ के राज में 'भूख' से मर गया 8 साल का बच्चा, परिवार के 5 सदस्य भी गंभीर
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के राज में गरीबों की स्थिति क्या है इसकी एक तस्वीर जिला अस्पताल में दिखाई दी जहां कथिततौर पर भूख के कारण 8 साल के बच्चे ने दम तोड़ दिया।
भोपाल, एएनआइ। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के राज में गरीबों की स्थिति क्या है, इसकी एक हालिया तस्वीर जिला अस्पताल में दिखाई दी, जहां कथिततौर पर भूख के कारण एक आठ साल के बच्चे ने दम तोड़ दिया। इस परिवार के अन्य पांच सदस्य अस्पताल में भर्ती हैं। प्रशासन का कहना है कि ये सभी दस्त (डायरिया) से पीडि़त है। मामला बड़वानी जिले का है, जहां डायरिया के शिकार एक ही परिवार के कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दम तोड़ चुके बच्चे के एक रिश्तेदार ने बताया कि इस परिवार के लोग दिहाड़ी मजदूर हैं। काम मिलता है, तो इनके घर में चूल्हा जलता है। काम नहीं मिला, तो इन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता है। इन लोगों को किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है। बड़वानी के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट अंशु ज्वाला ने बताया, प्रथम दृष्टया सबूत से पता चलता है कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों से भोजन नहीं किया था। वे भी गंभीर अतिसार से पीड़ित थे। फील्ड स्टाफ को इस मामले को आगे देखने के लिए निर्देशित किया गया है।'
हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब मध्यप्रदेश में किसी शख्स की भूख के कारण जान गई हो। इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं कि गरीब लोगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी जुदा नजर आती है। आमतौर पर गरीबों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। अगर मिल पाता, तो भूख से किसी शख्स की मौत नहीं होती। कृषि प्रधान देश में भूख से अगर किसी शख्स की जान चली जाती है, तो कई सवाल खड़े हो जाते हैं। हमारी नीतियां इसके लिए सीधेतौर पर जिम्मेदार हैं, जहां लोगों को एक वक्त का खाना भी उपलब्ध नहीं होता है। वैसे, सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है।
पिछले दिनों झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के दुरुप पंचायत के लुरगुमी कला में भी रामचरण मुंडा (65) नामक शख्स की भूखजनित बीमारी से मौत हो गई थी। तब रामचरण मुंडा की पत्नी चमरी देवी ने बताया था कि परिवार को तीन माह से राशन नहीं मिला। तीन दिन से घर पर खाने का एक दाना भी नहीं था। पति भूखे थे, इस वजह से उनकी मौत हुई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना मनरेगा के सहायता केंद्र में दी। अगर कोई गरीब भूख से मरता है, तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार नहीं है? क्या इसके लिए राज्य की सरकार दोषी नहीं है, जिसपर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी है?