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उत्तर कोरिया और अमेरिका के बाद ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच 27 साल पुराना विवाद सुलझा

ग्रीस और मेसेडोनिया ने पिछले 27 सालों से चल रहे ‘नाम’ के विवाद को हल कर लिया। दोनों देशों ने रविवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 10:06 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 10:06 AM (IST)
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बाद ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच 27 साल पुराना विवाद सुलझा
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बाद ग्रीस और मेसेडोनिया के बीच 27 साल पुराना विवाद सुलझा

[जागरण स्पेशल]। चालू जून महीने को विश्व शांति के लिए बहुत याद किया जाएगा। उत्तर, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक समझौते के बाद अब बाल्कन क्षेत्र से अच्छी खबर आई है। यहां ग्रीस और मेसेडोनिया ने पिछले 27 सालों से चल रहे ‘नाम’ के विवाद को हल कर लिया। दोनों देशों ने रविवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए। मेसेडोनिया से संसदीय औपचारिकता के बाद अब रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया को रिपब्लिक ऑफ नॉर्थ मेसेडोनिया के नाम से जा सकता है। यूगोस्लाविया से 1991 में अलगाव के बाद से ही इन दोनों देशों के बीच मेसेडोनिया नाम को लेकर विवाद चल रहा था।

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मछुआरों के गांव में हुआ समझौता

इस ऐतिहासिक संधि का गवाह बनी वो झील जो दोनों देशों के बीच की कुदरती सीमा है। मेसेडोनिया के प्रधानमंत्री जोरान जीव अपने कई मंत्रियों के साथ इस झील किनारे स्थित मछुआरों के खूबसूरत गांव साराडेस में स्पीडबोट द्वारा पहुंचे। यह गांव ग्रीस की सीमा में है। यहां पर ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास उनका इंतजार कर रहे थे। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने संधि पर हस्ताक्षर किये। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। संधि पत्र पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद सिप्रास दूसरे किनारे पर स्थित गांव प्रेस्पा पहुंचे और दोनों देश के अधिकारियों ने साथ में लंच किया।

क्या था विवाद

1991 में युगोस्लाविया से अलग होकर मेसेडोनिया संप्रभु गणराज्य बना। ग्रीस के उत्तरी क्षेत्र को भी मेसेडोनिया नाम से जाना जाता है। बाल्कन से सटे इस क्षेत्र के चलते ग्रीस ने नाम को लेकर आपत्ति जताई और उसे बदलने की बात कही।

विवाद: परत दर परत

- 1992 में ग्रीस की अधिसंख्य जनता इस विवाद के कारण थैसालोंकी शहर में सड़कों पर उतर आई थी।

- 2004 में रिपब्लिक ऑफ मेसेडोनिया ने अपनी राजधानी स्कोजे में एयरपोर्ट का नाम अलेक्जेंडर द ग्रेट रख दिया।

- 2011 में स्कोजे में ही घोड़े पर एक योद्धा की विशाल मूर्ति लगाई गई। यह मूर्ति सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय की थी।

राष्ट्रपति करते रहे हैं विरोध

मेसेडोनिया के राष्ट्रपति इवानोव अपने देश का नाम बदलने पर सहमत नहीं हैं। इवानोव 2017 से पहले सत्ता में रही राष्ट्रवादी पार्टी के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। नाम में इस बदलाव के बिल को अब संसद में पेश किया जाएगा। जहां इसे दो तिहाई मतों से पास करवाना होगा। राष्ट्रपति के पास इसे अस्वीकृत करने का अधिकार है, लेकिन यदि संसद दोबारा इस प्रस्ताव को भेजती है तो राष्ट्रपति को इसे मंजूरी देने पर विवश होना होगा।

जीव के आने से हुआ बदलाव

मेसेडोनिया के प्रधानमंत्री जीव की पार्टी 2017 में सत्ता में आई। चूंकि ग्रीस इस बात पर अड़ गया था कि वह मेसेडोनिया को यूरोपीय संघ और नाटो जैसे अहम वैश्विक मंचों में शामिल नहीं होने देंगे जब तक कि वह नाम नहीं बदलता। अर्थशास्त्री रहे जीव अपने देश के नाटो और यूरोपियन संघ में शामिल होने की महत्ता पहचानते थे। इसी कारण जीव ने इस संधि पर हस्ताक्षर किये।

ग्रीस का तर्क

मेसेडोनिया शब्द ग्रीस के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। ईसा से तीन शताब्दी पहले यहां के शासक सिकंदर ने लगभग पूरी दुनिया को ही फतह कर लिया था। इस कारण यह शब्द और स्थान यहां के लोगों के लिए विशेष लगाव का कारण है।

खास भूमिका

इस विवाद को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकार मैथ्यू निमेत्ज की खास भूमिका रही। निमेत्ज 1994 से इस विवाद को हल कराने में लगे थे। तब वे अमेरिका के राजदूत हुआ करते थे। 17 जून को ही निमेत्ज का 79 वां जन्मदिन था।  


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