भारत पहुंची US निर्मित हॉवित्जर, चीन से लगी सीमा पर होगी तैनाती
बोफोर्स सौदे के बाद पहली बार सेना के इस्तेमाल के लिए दो नई तोपें भारत अाई है। 2 अल्ट्रा लाइट 145 M-777 हॉवित्जर तोपें अमेरिका से ट्रायल के लिए भारत आ गई हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। बोफोर्स के बाद पहली बार भारतीय सेना में नई तोपों को शामिल किया जा रहा है। लगभग तीन दशक बाद सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए इसे हॉवित्जर तोपों से लैस किया जा रहा है। अमेरिका से हुए रक्षा समझौते के तहत दो एम-777 हॉवित्जर गुरुवार को भारत पहुंच गई। अब इन्हें परीक्षण फायरिंग के लिए राजस्थान स्थित पोखरण ले जाया जा रहा है। परीक्षण के बाद इन तोपों को जल्द ही सेना में शामिल कर लिया जाएगा। इन तोपों को मुख्यत: चीन से लगती सीमा पर तैनात किया जाएगा।
इन तोपों का निर्माण अमेरिकी कंपनी बीएई सिस्टम्स ने किया है। भारत इस कंपनी से 145 तोपें खरीद रहा है। इनमें 25 तोपें बनी-बनाई खरीदी जाएंगी। शेष तोपों को बीएई सिस्टम्स और उसकी सहयोगी कंपनी महिंद्रा डिफेंस की ओर से भारत में ही असेंबल किया जाएगा। इन तोपों के लिए पिछले साल नवंबर में भारत और अमेरिका के बीच लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का सौदा हुआ था।
10 साल से था प्रस्ताव
10 साल से सेना के लिए हॉवित्जर तोप खरीदने का प्रस्ताव था। बोफोर्स तोप खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद से कोई सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ना चाहती थी। बोफोर्स तोपों की खरीद राजीव गांधी सरकार के समय हुई थी। अगले चुनाव में राजीव गांधी हार गए थे। इसके बाद से सेना का आधुनिकीकरण रुका हुआ था।
क्या है इस तोप की खासियत
-155 एमएम की हॉवित्जर तोपें 30 किलोमीटर तक सटीक मार कर सकती हैं। इसके अलावा इन्हें ऑपरेट करना बेहद आसान है।
-हॉवित्जर तोपें अन्य तोपों के मुकाबले हलकी हैं। इनको कहीं पर साधारण तरीके से पहुंचाया जा सकता है। इन्हें हेलीकॉप्टर से भी ढोया जा सकता है।
-इन तोपों का वजन सिर्फ 4,200 किलोग्राम है, जबकि सेना जिन बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल कर रही है, उनका वजन 13,100 किग्रा है।
-मारक क्षमता के लिहाज से हॉवित्जर को दुनिया की सबसे कारगर तोपों में गिना जाता है।
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