फेफड़ों के संक्रमण का इलाज होगा आसान, IISC बेंगलुरु व ओस्लो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया नया सॉफ्टवेयर
भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) बेंगलुरु के विज्ञानियों ने नॉवे के ओस्लो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और एडगर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की गंभीरता का पता लगा सकता है।
बेंगलुरु, प्रेट्र। भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) बेंगलुरु के विज्ञानियों ने नॉवे के ओस्लो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और एडगर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की गंभीरता का पता लगा सकता है। दावा है कि इसकी मदद से संक्रमण का इलाज करना आसान हो जाएगा।
हाल ही में जर्नल आइईईई ट्रांजेक्शन ऑन नेचुरल नेटवर्क एंड लर्निग सिस्टम में प्रकाशित एक अध्ययन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित इस सॉफ्टवेयर के बारे में विस्तार से बताया गया है। आइआइएससी ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 श्वसन तंत्र विशेष रूप से फेफड़ों के ऊतकों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। एक्स-रे और सीटी स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीक के जरिये यह पता लगाया जा सकता है कि संक्रमण कितना फैल गया है।
मरीजों को त्वरित इलाज दिया जा सकता है
आइआइएससी के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटेशनल एंड डाटा साइंस एंड इंस्ट्रूमेंटेशन एंड अप्लाइड फिजिक्स के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित एनमनेट नामक यह सॉफ्टवेयर कोरोना मरीजों की छाती के सीटी स्कैन का विश्लेषण करता है। एक विशेष प्रकार के तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग करते हुए यह अनुमान लगाता है कि फेफड़ों को कितना नुकसान हुआ है। इसके आधार पर डॉक्टर मरीजों को त्वरित इलाज दे सकते हैं।
उपकरण कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए मददगार
आइआइएससी के अनुसार, यह ऑटोमेटिक उपकरण कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए मददगार सिद्ध हो सकता है और मरीजों को संक्रमण से उबरने में मदद मिल सकेगी। इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता नवीन पालुरु ने कहा, 'एनमनेट' मूल रूप से छाती के सीटी स्कैन से विश्लेषण करता है और डीप लर्निग तकनीक के जरिये संक्रमण की गंभीरता का अनुमान लगाता है।'