Ayodhya Verdict: भाग्य से अयोध्या पर संविधान पीठ में शामिल हुए थे जस्टिस अशोक भूषण
Ayodhya Verdict जस्टिस अशोक भूषण भाग्य से अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा बने थे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। Ayodhya Verdict: जस्टिस अशोक भूषण भाग्य से अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा बने थे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जजों ने पीठ में शामिल होने से इन्कार कर दिया था।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर संविधान पीठ का हिस्सा तब बने थे जब जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस यूयू ललित ने मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता के मद्देनजर इसका हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया था। दोनों ही वरिष्ठतम न्यायाधीशों के भविष्य में प्रधान न्यायाधीश बनने की संभावना है।
शुरुआती योजना में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जो पीठ गठित की थी उसमें उन्होंने उन सभी न्यायाधीशों को शामिल किया था जिनके वरिष्ठता के आधार पर भविष्य में प्रधान न्यायाधीश बनने की संभावना है। पीठ में शामिल जस्टिस एसए बोबडे जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रधान न्यायाधीश बनेंगे। जबकि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नौ नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2024 तक प्रधान न्यायाधीश होंगे।
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस केस में महज 40 दिनों में सुनवाई पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने केस की गंभीरता को देखते हुए इस पर नियमित सुनवाई की। खास बात ये है कि महज 40 दिन चली सुनवाई में भी सभी पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा और पर्याप्त मौका दिया गया।
ये है जस्टिस अशोक भूषण का जीवन परिचय
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पांच जुलाई 1956 को पैदा हुए जस्टिस अशोक भूषण 1979 में पहली बार यूपी बार काउंसिल से जुड़ थे। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की और वहां कई अहम पदों पर काम भी कर चुके हैं। 2001 में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही जज नियुक्त कर दिए गए। वर्ष 2014 में जस्टिस अशोक भूषण केरल हाईकोर्ट के जज बने। वर्ष 2015 में वह केरल हाईकोर्ट के ही चीफ जस्टिस बना दिए गए। 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बना दिए गए, उसके बाद से कई महत्वपूर्ण फैसले में शामिल रहे।