सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन से पीछे नहीं हटेगी सेना
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन से सेना की वापसी नहीं होगी। उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि सेना ने सियाचिन में दुखद हादसा जरूर देखा है, लेकिन सेना अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए वचनबद्ध है और आगे भी रहेगी।
ऊधमपुर। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन से सेना की वापसी नहीं होगी। उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि सेना ने सियाचिन में दुखद हादसा जरूर देखा है, लेकिन सेना अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए वचनबद्ध है और आगे भी रहेगी। ऊधमपुर में अलंकरण समारोह के बाद ध्रुवा ऑडिटोरियम में पत्रकारों से बातचीत में सियाचिन से सेना हटाने संबंधी पाक के प्रस्ताव पर हुड्डा ने कहा कि हादसे को सेना की वापसी से जोड़कर देखने का कोई कारण नहीं है।
उत्तरी कमान का अलंकरण समारोह शुक्रवार को ध्रुवा ऑडिटोरियम में हुआ। इस मौके पर उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने अदम्य साहस व असाधारण कर्तव्य निष्ठा से अपने दायित्व का निर्वाह करने वाले 38 जवानों और अधिकारियों को पदक प्रदान कर सम्मानित किया, जबकि समारोह में 46 की घोषणा की गई थी। आठ किसी कारणवश नहीं आ सके।
हुड्डा ने कहा कि भारतीय सेना का रुख स्पष्ट है, अगर वापसी संबंधी कोई वार्ता शुरू होती भी है तो वहां भारतीय सेना की तैनाती व पोस्टों की वास्तविक जमीनी स्थिति प्रमाणित हो और मूल शर्तों को पूरा किया जाए, जो दोनों देशों को मंजूर हो। पहला कदम ही नहीं उठाया गया है, इसलिए वकोई समझौता मंजूर नहीं हुआ है।
सियाचिन में बड़े हेलीपैड तक पहुंचाए जा चुके शव
हुड्डा ने कहा कि मौसम के साथ न देने के कारण सियाचिन में शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर नहीं निकल पा रहे। बर्फबारी के बीच लांस नायक हनुमनथप्पा को गंभीर हालत में निकाला गया था, इसके बाद से बर्फबारी शुरू हो गई। शेष शवों को घटनास्थल से निकालकर सियाचिन में बड़े हैलीपैड़ के पास कैंप में पहुंचा दिया गया है। सारी तैयारियां की जा चुकी हैं। मौसम ठीक होने पर एक घंटे का समय मिलते ही सभी पार्थिव शरीर निकाल लिए जाएंगे। सियाचीन में तैनात जवानों के रिस्क अलाउंस के अलावा अन्य अलाउंस तथा वेतन विसंगतियों का मुद्दा सैन्य मुख्यालय द्वारा मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है। इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।
सीमा पर चीन का ढांचा भारत से बेहतर
हुड्डा ने कहा कि हाल ही में उनका चीन दौरा काफी फायदेमंद रहा। उन्होंने माना कि भारत-चीन सीमा पर एलएसी पर भारतीय ढांचा पड़ोसी देश जितना बेहतर नहीं है। इसलिए पिछले कुछ सालों में इस तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मौजूदा सरकार भी सीमा पर ढांचे का विकास को बढ़ावा दे रही है। पूर्वी लद्दाख की कुछ महत्वपूर्ण सड़कों को विशेष डिस्पेंशन के तहत लाया गया है। अतिरिक्त सुरक्षाबलों को भेजा गया है। पिछले कुछ सालों की तुलना में अब ढांचा बेहतर हुआ है।
हुड्डा ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो स्थिति में सुधार हो रहा है। घुसपैठ कम हुई है, कई शीर्ष आतंकी कमांडर व आतंकी मारे गए हैं। सेना का प्रयास एक भी आतंकी हमला न होने देने का है। एलओसी पर भी हालात बेहतर हैं। सेना के साथ बीपी बैठक और डीजीएमओ स्तर पर वार्ता हुई है। तीन चार माह से कोई युद्ध विराम उल्लंघन नहीं हुआ है। हुड्डा ने कहा कि युवाओं का आतंकी संगठनों में भर्ती होना चिंता का विषय है। क्योंकि ऐसा करने वालों का जीवन छह माह से एक साल ही रह जाता है।