गुड़िया पर संसद ने बहाए आंसू
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कानून को सख्त बनाने के बाद भी महज चार महीने के भीतर दिल्ली में गुड़िया [बदला हुआ नाम] से दरिंदगी के खिलाफ सांसदों का भी गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा। संसद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि लोकसभा की कार्यवाही ही नहीं चल सकी। राज्यसभा में भारी हंगामे के बाद शुरू हुई बहस में ज्यादातर सदस्यों ने एक महीने पहले ही कड़े किए गए कानून को और सख्त करने व दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा की जोरदार पैरवी की।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कानून को सख्त बनाने के बाद भी महज चार महीने के भीतर दिल्ली में गुड़िया [बदला हुआ नाम] से दरिंदगी के खिलाफ सांसदों का भी गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा। संसद में इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि लोकसभा की कार्यवाही ही नहीं चल सकी। राज्यसभा में भारी हंगामे के बाद शुरू हुई बहस में ज्यादातर सदस्यों ने एक महीने पहले ही कड़े किए गए कानून को और सख्त करने व दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा की जोरदार पैरवी की।
संसद के दोनों सदनों में सोमवार को गुड़िया दुष्कर्म मामला गूंजा। हंगामे और शोरशराबे के बीच गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने एक वक्तव्य जरूर रखा, लेकिन उनके पास भी घटना की सिलसिलेवार जानकारी देने के सिवा ऐसी घटनाओं को रोकने में सरकार और पुलिस की असफलता का कोई जवाब नहीं था। राज्यसभा में इस मामले में अल्पकालिक चर्चा के दौरान बसपा की मायावती, भाजपा की माया सिंह और कांग्रेस की प्रभा ठाकुर समेत अन्य सदस्यों ने दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा का कानून बनाने की पैरवी की। साथ ही इस ज्वलंत मुद्दे पर और जरूरी कदमों के लिए गृह मंत्री से सर्वदलीय बैठक बुलाने पर भी जोर दिया। प्रभा ठाकुर अपनी बात रखते समय इतनी भावुक हो गई कि उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। मायावती ने ऐसे मामलों की समयबद्ध सुनवाई का सुझाव दिया।
सपा के प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा, यह देश नारियों की पूजा के लिए जाना जाता है। कहा भी जाता है, 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता।' ऐसे देश में अबोध बच्चियों से दुराचार की बात अकल्पनीय है। सिर्फ कानून कड़ा करने से काम नहीं चलेगा। लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। पत्र-पत्रिकाओं, फिल्मों में नग्नता, अश्लीलता परोसी जा रही है। उसे रोकने के लिए कानून में बदलाव करने के साथ ही लापरवाह पुलिस कर्मियों को भी सजा देनी होगी।
प्रख्यात गीतकार मनोनीत सदस्य जावेद अख्तर ने कहा, दरअसल मर्ज की सही पहचान ही नहीं की जा रही। देश के 14 हजार सिनेमाघरों में से आठ हजार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में हैं। यदि फिल्मों का ही असर है तो इन राज्यों में इस तरह के अपराध ज्यादा होने चाहिए थे। रही बात पश्चिमी संस्कृति के असर की तो वहां अपराध ही अपराध होते। यदि वाकई कार्रवाई करनी है तो ऐसे मामलों में फैसले जल्द हों। साथ ही लापरवाह पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
ढाई सौ के सदन में सिर्फ 80
इस ज्वलंत मुद्दे पर शायद सांसद भी बहुत गंभीर नहीं हैं। उनकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राज्यसभा में दुष्कर्म के जिस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए टुकड़े-टुकड़े में कई बार देर तक भारी शोरशराबा, हंगामा हुआ, जब उस पर चर्चा शुरू हुई तो सदन में आधे सदस्य भी मौजूद नहीं थे। 250 सदस्यों वाले उच्च सदन में दो बजे के बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। तीन बजे सदन में सिर्फ 80 सदस्य ही मौजूद थे। 3.30 बजे संख्या कुछ और कम हुई और पांच बजते-बजते और भी नीचे पहुंच गई। खास बात यह है कि इस मामले में सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्यों का नजरिया एक जैसा ही है।
वाराणसी में बच्ची को अगवा कर दुष्कर्म
वाराणसी [जासं]। दिल्ली में मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी को लेकर अभी आक्रोश थमा भी नहीं है, उधर सांस्कृतिक नगरी काशी में भी एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। नगर से सटे मिर्जामुराद इलाके में रविवार को घर के बाहर सो रही सात वर्ष की एक मासूम बच्ची को गांव के ही एक युवक ने पहले तो अगवा किया, फिर पांच किलोमीटर दूर खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद मरणासन्न अवस्था में उसे छोड़कर दरिंदा वहां से फरार हो गया। बच्ची वहां घंटों बेहोश पड़ी रही।
सोमवार को इस सनसनीखेज मामले की जानकारी होने पर थानाध्यक्ष दिनेश मिश्र ने बच्ची की मां की तहरीर पर जयप्रकाश पटेल उर्फ लक्कड़ के खिलाफ अपहरण व दुष्कर्म का मुकदमा कायम कर उसे गिरफ्तार कर लिया। बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है। मेडिकल परीक्षण में बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। मेडिकल जांच के बाद उसका अदालत में बयान दर्ज कराया गया। इलाज के लिए उसे एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। घटना को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है।
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