नेता विपक्ष नहीं होने से लोकपाल व सीवीसी की नियुक्ति अमान्य नहीं
लोकसभा में मान्यता प्राप्त नेता विपक्ष के नहीं होने के कारण लोकपाल और सीवीसी समेत विभिन्न संवैधानिक निकायों में नियुक्तियां अमान्य नहीं होंगी। लोकसभा में नेता विपक्ष के मसले पर अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने अपनी यह राय सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में दी
नई दिल्ली। लोकसभा में मान्यता प्राप्त नेता विपक्ष के नहीं होने के कारण लोकपाल और सीवीसी समेत विभिन्न संवैधानिक निकायों में नियुक्तियां अमान्य नहीं होंगी। लोकसभा में नेता विपक्ष के मसले पर अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने अपनी यह राय सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में दी है। अटॉर्नी जनरल के मुताबिक संसद में एक संसदीय दल या समूह को मान्यता प्रदान करने का अधिकार सिर्फ लोकसभा अध्यक्ष के पास होता है।
अटॉर्नी जनरल ने बताया, 'सभी चारों अधिनियमों (मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993, सीवीसी अधिनियम, 2003, आरटीआइ अधिनियम, 2005 और लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013) में यह स्पष्ट रूप से दर्ज है कि किसी भी अधिनियम के तहत समिति में महज किसी सदस्य की जगह खाली होने के आधार पर चयन अमान्य नहीं हो सकता।' चारों अधिनियमों में से कम से कम दो (सीवीसी और आरटीआइ) में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है। संसद ने भी इस संबंध में अपना उद्देश्य साफ किया है। रोहतगी ने कहा, 'जहां तक दो अन्य अधिनियमों का संबंध है तो जाहिरा तौर पर चयन समिति में नेता विपक्ष की रिक्ति को आकस्मिक रिक्ति के तौर पर देखा जा सकता है। मतलब यह कि चयन समिति के किसी सदस्य के बैठक में हिस्सा नहीं ले पा सकने जैसा।'