Move to Jagran APP

आपदा प्रभावित क्षेत्रों को दीर्घकालीन योजनाएं

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में ठीक एक वर्ष पूर्व आई भीषण आपदा में केदारघाटी समेत प्रदेश के अन्य जिलों में हुई तबाही के निशान अभी भी बाकी हैं। प्रभावितों के पुनर्वास व व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से त्रिस्तरीय योजना बनाई गई है। इस योजना के पहले चरण का कार्य तकरीबन पूर्ण हो चुका है और अब दूस

By Edited By: Published: Mon, 16 Jun 2014 05:52 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jun 2014 07:54 AM (IST)
आपदा प्रभावित क्षेत्रों को दीर्घकालीन योजनाएं

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में ठीक एक वर्ष पूर्व आई भीषण आपदा में केदारघाटी समेत प्रदेश के अन्य जिलों में हुई तबाही के निशान अभी भी बाकी हैं। प्रभावितों के पुनर्वास व व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार की ओर से त्रिस्तरीय योजना बनाई गई है। इस योजना के पहले चरण का कार्य तकरीबन पूर्ण हो चुका है और अब दूसरे चरण का खाका तैयार कर लिया गया है। इसके बाद तीसरे चरण का कार्य शुरू किया जाएगा। केंद्र की ओर से वित्त पोषित योजनाओं की समय सीमा भी चार वर्ष रखी गई है, यानी धरातल पर काम होने में अभी चार वर्ष का समय और लगेगा।

loksabha election banner

गत वर्ष जून माह में आई आपदा ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में कहर मचाया था। मंदाकिनी नदी में आए उफान ने केदारघाटी को बुरी तरह तहस-नहस किया। इसी घाटी में हजारों जानें गईं और कई गांव नदी के कहर की भेंट चढ़े। सरकार ने व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के लिए त्रिस्तरीय योजना बनाई। इस योजना के प्रथम चरण में प्रभावितों के पुनर्वास व आवास, बिजली व पानी की व्यवस्थाएं दुरुस्त करना और सड़क व पुल ठीक करना शामिल था। सरकार का मानना है कि अस्थायी तौर पर यह व्यवस्थाएं दुरुस्त हो गई हैं।

केदारघाटी में शुरू होगा दूसरा चरण

सरकार को मुख्य फोकस केदारघाटी के पुनर्निर्माण को लेकर है। दूसरे चरण में केदारनाथ में मंदाकिनी व सरस्वती का बहाव उनके पुराने रास्तों की ओर मोड़ने का काम शुरू किया जाएगा। सिंचाई विभाग व नेहरू पर्वतारोहण संस्थान [एनआइएम] यह कार्य करेंगे। केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा के लिए ग्लेशियर की दिशा में दो बड़ी सुरक्षा दीवार बनाई जाएंगी। केदारनाथ पैदल मार्ग में वैष्णो देवी की तर्ज पर दोनों ओर सराय व बाजार विकसित किए जाएंगे। केदारपुरी में बेहद खतरनाक भवन जल्द ही भवन स्वामियों की सहमति से ध्वस्त किए जाएंगे, जिसकी ऐवज में उन्हें मुआवजा भी दिया जाएगा। पूरे क्षेत्र में रास्तों व नालियों के निर्माण का खाका खींचने के बाद जीएसआई से तीन बार भूगर्भीय सर्वे कराया जाएगा। केदारनाथ के सामने प्रस्तावित नई केदारपुरी को स्थायी रूप से बसाने की योजना है, जिसके लिए पहले स्लोप इस्टेबलाईजेशन व सुरक्षात्मक उपाय होंगे। लिनचौली तल्ली व मल्ली में बाजार विकसित किए जाएंगे, जो रामबाड़ा व भीमबली का विकल्प होगा। साथ ही, लिनचौली से केदारनाथ तक रोप-वे का भी निर्माण होगा।

सड़क, पुल व पेयजल योजनाएंप्रदेश के सभी आपदा प्रभावित स्थानों पर कार्यो के लिए तीन समितियां बनाई गई हैं। एक समिति आवास व पेयजल योजनाओं का कार्य देख रही है। दूसरी समिति सड़कों व पुल निर्माण योजना व तीसरी समिति आपदा प्रबंधन योजना के कार्य को देख रही है। व‌र्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से इन योजनाओं को शुरू किया गया है। आवास, पेयजल, सड़क व पुल, पर्यटन स्थलों को दुरुस्त करने आदि कार्य के लिए सरकार ने योजना क्रियान्वयन समितियों का गठन किया है, जो संबंधित योजनाओं पर कार्य कर रही हैं। एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से शुरू होने वाली योजनाओं को पूरा करने की समयसीमा तीन वर्ष जबकि व‌र्ल्ड बैंक सहायतित योजनाओं को पूरा करने की समय सीमा चार वर्ष रखी गई है। इसके तहत 1690 करोड़ रुपये की लागत से 5966 किमी लंबी सड़क और 59 पुल बनाए जाने प्रस्तावित हैं। 31 अक्टूबर तक इन सभी योजनाओं की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसी प्रकार 72 करोड़ रुपये की लागत से श्रीनगर, उत्तरकाशी, गौचर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग, धारचूला, बागेश्वर व कपकोट में नई पेयजल योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। आपदा प्रबंधन के तहत अर्ली वार्निंग सिस्टम और डॉप्लर रॉडार का क्रय किया जाना प्रस्तावित है।

पढ़ें: केदारनाथ क्षेत्र में मिले 12 नरकंकाल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.