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कोरोना से लड़नी होगी लंबी लड़ाई, ये जानकारी बन सकती है आपके लिए कारगर हथियार...

कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाता है यह वायरस कब करानी चाहिए जांच और उपचार। विशेषज्ञों से मिली यह जानकारी बन सकती है आपके लिए कारगर हथियार...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 12:57 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 01:10 PM (IST)
कोरोना से लड़नी होगी लंबी लड़ाई, ये जानकारी बन सकती है आपके लिए कारगर हथियार...
कोरोना से लड़नी होगी लंबी लड़ाई, ये जानकारी बन सकती है आपके लिए कारगर हथियार...

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में कोरोना से आर-पार की लड़ाई जारी है। कैसे शरीर को नुकसान पहुंचाता है यह वायरस, कब करानी चाहिए जांच और उपचार के बाद भी कैसी हो जीवनशैली कि दोबारा न कर सके यह वार, विशेषज्ञों से मिली यह जानकारी बन सकती है आपके लिए कारगर हथियार...

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सतर्क-सजग रहें: जनरल फिजीशियन डॉ. बी.के. अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के उपचार के बाद मरीज स्वस्थ तो हो जाता है लेकिन शारीरिक रूप से बेहद कमजोर पड़ जाता है। इस संक्रमण में सबसे ज्यादा असर रोगी के फेफड़ों, दिल, किडनियों और आंतों पर पड़ता है। स्वस्थ होने के बाद ध्यान न देने पर इन अंगों की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है जिससे बाद में भी अन्य परेशानियां हो सकती हैं। यदि आप भविष्य में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपनी जीवनशैली और आहार में बदलाव करना पड़ेगा। जिस तेजी से यह वायरस अपना प्रसार कर रहा है, उससे यह साबित हो चुका है कि जब तक इसका सटीक उपचार या वैक्सीन नहीं आ जाती, हमें उन सभी उपायों को अपनाना होगा, जिनसे हम इसके संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं।

हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मास्क का प्रयोग, शारीरिक दूरी का पालन, थोड़ी-थोड़ी देर में सेनिटाइजर या साबुन से हाथों की सफाई हमारी जीवनशैली का हिस्सा बने ताकि सिर्फ कोरोना संक्रमण ही नहीं, आने वाले दिनों में किसी भी वायरस के संक्रमण से बचने के लिए ये चीजें हमारी सुरक्षा कवच बनी रहें। आखिरकार काम पर न निकलने या अपनी जिम्मेदारियों को टालने की भी एक सीमा है। हमें संक्रमण से बचना भी है और काम के लिए घर से बाहर भी निकलना ही पड़ेगा। ऐसे में हम किस प्रकार स्वस्थ और सुरक्षित रहें, इसके बारे में विचारकर अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देना है। यह तभी संभव है, जब हम अनुशासित जीवनशैली को प्राथमिकता दें। इससे हमारे आज और कल, दोनों ही सेहतमंद रहेंगे। घटाएं तेल-मसाले का सेवन: किसी भी बीमारी के बाद स्वादिष्ट खाने की क्रेविंग होना आम बात है।

यह तो साफ है कि भारत में खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए ज्यादा तेल-मसालों का प्रयोग किया जाता है लेकिन अब ध्यान रखें कि बीमारी के बाद इस प्रकार का भोजन आपको फिर बीमार कर सकता है। दरअसल, बीमारी के बाद शरीर के अंदरूनी अंग कमजोर पड़ जाते हैं, जिसके कारण शरीर इस तरह का भोजन स्वीकार नहीं कर पाता है। इसके चलते आप फेफड़ों, दिल, किडनियों व आंतों से संबंधित कई समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। 

संतुलित व पौष्टिक हो आहार: स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है। संतुलित आहार शरीर की इम्युनिटी को मजबूत बनाता है और इससे बीमारियों से उबरने में मदद मिलती है। संतुलित आहार में प्रोटीन, विटामिन, वसा, मिनरल्स और फाइबर आदि की उचित मात्रा का होना आवश्यक है। हर व्यक्ति को अपनी

दिनचर्या में इन पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार जरूर लेना चाहिए, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिल सके।

मौसमी फल-सब्जियों का सेवन है जरूरी: हरी सब्जियां और फल न सिर्फ पोषण से भरपूर होते हैं, बल्कि आसानी से पच भी जाते हैं। इनमें कई प्रकार के विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों, दिल, किडनियों और आंतों को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। नींबू, कीवी, ब्रॉकली, पालक, शिमला मिर्च, और हरी सब्जियां इम्युनिटी को मजबूत बनाती हैं। पपीता, गाजर, चुकंदर, मूली, परवल आदि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन मौसमी फलों व सब्जियों का सेवन शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।

घातक है नशे की लत: नशा शरीर के लिए बहुत ही घातक होता है। इससे शरीर की इम्युनिटी बुरी तरह प्रभावित होती है इसलिए हमें अल्कोहल, तंबाकू जैसे किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए। यदि आप अब तक इसके आदी रहे भी हैं तो बीमारी के बाद इसे पूरी तरह छोड़ना ही हितकर होगा। चबाने वाली तंबाकू में ऐसे रसायन होते हैं, जिनका सेवन शरीर के विभिन्न अंगों के ऊतकों व कोशिकाओं को खराब करता है। यह न सिर्फ फेफड़ों के लिए खतरनाक है, बल्कि शरीर के अन्य अंगों के लिए भी ठीक नहीं। इसी प्रकार धूमपान भी श्वसन तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह धूमपान करने वाले व्यक्ति के साथ ही पैसिव स्मोकिंग के जरिए साथ खड़े व्यक्ति के फेफड़ों को भी प्रभावित कर देता है।

एक्सरसाइज से रहें स्वस्थ: किसी भी बीमारी के बाद शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक सक्रियता बहुत जरूरी है। कोरोना संक्रमण में इम्युनिटी बुरी तरह प्रभावित होती है, इसलिए धीरे-धीरे व्यायाम करने की आदत डालें। दिनचर्या में ऐसे काम शामिल करें जो आपके शरीर की सक्रियता बढ़ाते हों। यदि आपको डांस पसंद है तो इससे बेहतर और मनोरंजक एक्सरसाइज क्या हो सकती है। एक्सरसाइज से मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और रक्त का संचार सही ढंग से होता है, जो हमें बीमारी के खतरे से बचाता है। व्यायाम, प्राणायाम व योग करने से मन प्रसन्न रहता है और तनाव कम होता है। तनाव से दूर रहना भी इम्युनिटी मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी है।

जरूर पिएं गुनगुना पानी: यदि सुबह उठकर पानी पीते हैं तो यह सेहत के लिहाज से बहुत अच्छी आदत कही गई है। हां, अगर गुनगुने पानी का सेवन करते हैं तो यह सेहत के लिहाज से और भी फायदेमंद मानी गई है। इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है और कई तरह के संक्रमण से भी बचाव होता है।

क्या करता है कोरोना: डॉ. सलिल भार्गव ने बताया कि दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना वायरस के गंभीर खतरों से जूझ रहे हैं और अभी तक इसका कोई सटीक उपचार नहीं खोजा जा सका है। कोरोना वायरस का संक्रमण शरीर को किस तरह प्रभावित करता है, इस पर अभी तमाम तरह के अध्ययन जारी हैं। इस वायरस के बारे में अभी तक की जानकारी के अनुसार शुरुआती लक्षणों को समझकर तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश पाकर स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित करता है और इसके बाद अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। इस तरह यह गुणात्मक संख्या में पूरे शरीर में फैलता जाता है। यह वायरस अपने चिपचिपे प्रोटीन को स्वस्थ कोशिका पर चिपका देता है और इसके बाद यह फट जाता है। इससे शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं मरने लगती हैं। इसका सर्वाधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है।

यह वायरस हवा अथवा किसी भी सतह पर मौजूद हो सकता है। मुंह अथवा नाक के रास्ते से शरीर में प्रवेश करने वाला वायरस सबसे पहले नाक की मेंब्रेन यानी झिल्ली और गले में पहुंचकर वहां कब्जा जमा लेता है। संक्रमित होने के 2 से 14 दिन के अंदर संक्रमित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर होकर रोग के लक्षण प्रकट करने लगता है। इस दौरान सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। तेजी से सांस लेने के चलते हार्टबीट रेट बढ़ने लगता है और मरीज को चक्कर व पसीना आने लगता है। स्वस्थ कोशिकाओं के लगातार क्षतिग्रस्त होने और फेफड़ों का संक्रमण बढ़ने से मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत होती है। इसी दौरान शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से अन्य अंग भी प्रभावित होकर संक्रमित होने लगते हैं।


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