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देश के लोकपाल के पास अभी भी नहीं है अपनी जांच विंग, एक साल से खाली हैं पद

जांच विंग और अभियोजन विंग न होने के बावजूद लोकपाल काम कर रहा है और भ्रष्टाचार के मामलों की आने वाली शिकायतों की जांच पड़ताल में जुटा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 08:29 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 08:29 PM (IST)
देश के लोकपाल के पास अभी भी नहीं है अपनी जांच विंग, एक साल से खाली हैं पद
देश के लोकपाल के पास अभी भी नहीं है अपनी जांच विंग, एक साल से खाली हैं पद

माला दीक्षित, नई दिल्ली। देश को बहुप्रतीक्षित लोकपाल मिले एक वर्ष से ज्यादा हो गया है और लोकपाल के समक्ष शिकायत करने का तय प्रारूप जारी हुए भी करीब छह महीने बीत रहे हैं, लेकिन अभी तक लोकपाल के पास अपनी जांच विंग नहीं है। लोकपाल कानून के मुताबिक निदेशक जांच और निदेशक अभियोजन के पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। ये पद अभी तक खाली हैं। हालांकि इसके बावजूद लोकपाल ने काम शुरू कर दिया है। भ्रष्टाचार के तीन मामलों में संज्ञान लिया है और सीवीसी से रिपोर्ट व दस्तावेज मांगे हैं।

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लोकपाल: भ्रष्टाचार मामलों की जांच करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था

लोकपाल भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था है। लोकपाल को प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों से लेकर सभी लोकसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने का अधिकार है। कानून के मुताबिक जांच की प्रक्रिया और शिकायत का प्रारूप भी तय है। लोकपाल को कानून में स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था के रूप में स्थापित किया गया है ताकि वह बिना किसी प्रभाव अथवा दबाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से जांच कर सके।

कानून कहता है कि लोकपाल की अपनी  होगी जांच विंग और अभियोजन विंग

लोकपाल कानून कहता है कि लोकपाल की अपनी जांच विंग और अभियोजन विंग होगी। कानून की धारा 11 के मुताबिक लोकपाल की एक जांच विंग होगी जो कि लोकपाल के समक्ष आने वाली शिकायतों की प्रारंभिक जांच करेगी। विंग का मुखिया निदेशक जांच होगा। लोकपाल को प्रारंभिक जांच में सहयोग करने वाले अधिकारी केन्द्र सरकार के अंडर सेक्रेटरी रैंक से कम रैंक का नहीं होगा। इसी तरह धारा 12 के मुताबिक लोकपाल में अभियोजन विंग होगी जिसका मुखिया निदेशक अभियोजन होगा। लोकपाल की अभियोजन विंग लोकपाल के निर्देश पर जांच रिपोर्ट के आधार पर लोकसेवक के खिलाफ विशेष अदालत मे केस दाखिल करेगा।

निदेशक जांच और निदेशक अभियोजन के पदों पर अभी नहीं हुई नियुक्ति

लोकपाल नियुक्ति हुए और वहां विधिवत कामकाज चालू हुए काफी समय बीत जाने के बावजूद अभी तक निदेशक जांच और निदेशक अभियोजन के पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। किसी अहम पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत आने की स्थिति मे लोकपाल की अपनी जांच विंग महत्वपूर्ण होगी।

लोकपाल बिना जांच विंग और अभियोजन विंग के कर रहा काम

जांच विंग और अभियोजन विंग न होने के बावजूद लोकपाल काम कर रहा है और भ्रष्टाचार के मामलों की आने वाली शिकायतों की जांच पड़ताल में जुटा है। क्योंकि लोकपाल कानून यह भी कहता है कि आने वाली शिकायत की या तो लोकपाल अपनी जांच विंग से प्रारंभिक जांच कराएगा या फिर किसी अन्य एजेंसी सीवीसी या सीबीआइ को जांच के लिए भेज सकता है। सरकार ने गत दो मार्च को लोकपाल के समक्ष शिकायत करने का तय प्रारूप अधिसूचित किया था। प्रारूप जारी होने के बाद लोकपाल को बहुत सी शिकायतें मिली हैं। जिनमें से भ्रष्टाचार के तीन बड़े मामलों को उसने गंभीर माना है।

लोकपाल ने भ्रष्टाचार की कुछ शिकायतों पर सीवीसी से मांगी है रिपोर्ट

लोकपाल ने एक पर सीवीसी से रिपोर्ट मांगी है जिसके पास पहले शिकायत थी। कुछ में अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए हैं। इसके अलावा 17 अन्य मामले भी शार्ट लिस्ट किये गए हैं। जिनमे कुछ की सीवीसी या अन्य एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। अभी करीब 40 शिकायतें ऐसी हैं जिन पर 25 अगस्त को लोकपाल की पूर्ण पीठ में विचार होगा। तभी तय होगा कि मामलों में जांच की जरूरत है कि नहीं।


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