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लोकसभाध्यक्ष चाहती हैं नया संसद भवन, प्रस्ताव को बढ़ाया आगे

देश को अत्याधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन मिल सकता है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है। उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर उनसे नए संसद भवन के निर्माण पर विचार करने को कहा है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2015 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2015 04:45 AM (IST)
लोकसभाध्यक्ष चाहती हैं नया संसद भवन, प्रस्ताव को बढ़ाया आगे

नई दिल्ली। देश को अत्याधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन मिल सकता है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है। उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर उनसे नए संसद भवन के निर्माण पर विचार करने को कहा है।

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सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में आगे की कार्रवाई में शहरी विकास मंत्रालय एक नोट तैयार करेगा जिस पर कैबिनेट में विचार किया जा सकता है। क्यों बने नया भवनलोकसभा अध्यक्ष ने पत्र में संसद की नई इमारत के निर्माण के लिए कई कारण बताए हैं। 2026 के बाद लोकसभा की सीटों में इजाफा हो सकता है। वर्तमान में सदन में सीटों की क्षमता 550 है और इसे बढ़ाए जाने की गुंजाइश नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 81 के मुताबिक, 2026 में अंतिम जनगणना (संभवत: 2021) के आधार पर प्रतिनिधित्व तय होंगे।

1927 में जब इस भवन की शुरुआत हुई थी, तब कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों, मीडिया वालों की संख्या और संसदीय गतिविधियां सीमित थीं। लेकिन अब इनमें कई गुना बढ़ोतरी हुई है। सांसदों को अत्याधुनिक गैजेट्स से लैस करने और संसद को पेपरलेस बनाने के लिए इमारत को फिर से डिजायन करना होगा। चूंकि मौजूदा भवन को हेरिटेज ग्रेड-1 घोषित है, इसलिए इसमें मरम्मत और ढांचागत बदलाव नहीं हो सकता। वैकल्पिक स्थान सुझाएइसके लिए उन्होंने दो वैकल्पिक स्थानों का सुझाव भी दिया है। एक स्थान संसद परिसर में ही हो सकता है और दूसरा राजपथ की दूसरी तरफ।

राजपथ पर अंडरग्राउंड सड़क बनाकर नए भवन को मौजूदा भवन से जोड़ने का सुझाव भी दिया। एक साल पहले उठा मामलाएक साल पहले संसद की बजट समिति की बैठक में नए संसद भवन का सुझाव दिया गया था। बैठक में लोकसभा के उपाध्यक्ष एम. थंबीदुरई, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष केवी थॉमस और एस्टीमेट कमेटी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी शामिल थे।

सुरक्षा को लेकर सवाल

मार्च 2015 में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अपनी रिपोर्ट मौजूदा इमारत में कई कमियां बताईं।-हादसा होने की स्थिति में परिसर से लोगों को निकालने में कठिनाई।-1927 में शुरू हुई इमारत में अब तब कई बदलावों से ढांचे पर खतरा।-विश्वनाथन रिपोर्ट के मुताबिक, इमारत पर काफी बोझ।-इमारत तीव्र भूकंप झेलने योग्य नहीं। -अग्निशमन विभाग ने भी आग से सुरक्षा को लेकर इमारत की व्यवस्था का पर्याप्त नहीं माना।

हो चुके हैं हादसे

2009 में तत्कालीन मंत्री मुरली देवड़ा के कार्यालय की छत का एक हिस्सा गिरा।-2012 में नाली से दुर्गंध आने पर मई में करीब एक सप्ताह तक राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित रही।-2015 में एसी चैंबर में लगी आग।

इतिहास और विशेषताएं

-मौजूदा इमारत 1921 से 1927 के बीच बनी।-1919 में सर हरबर्ट वैकर ने मौजूदा इमारत का डिजाइन तैयार किया था।

-1921 में 12 फरवरी को ड्यूक ऑफ कनॉट ने इमारत की आधारशिला रखी।

-1927 में 18 जनवरी को गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया।

-इमारत की पहली मंजिल पर बरामदे में 144 खंबों की कतार।

-संसद भवन में है लाइब्रेरी।

-परिसर में गार्डेन, फौव्वारा भी हैं।-इमारत का सबसे प्रमुख हिस्सा सेंट्रल हॉल है। यह हॉल दुनिया के सबसे शानदार गुंबदों में शामिल है।

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