सरहद पार से फिर आईं टिड्डियां, राजस्थान पर बढ़ा खतरा, मध्य प्रदेश में हमले जारी
सीमा पार से टिड्डियों ने राजस्थान के इलाकों में एकबार फिर हमला बोला है। मध्य प्रदेश में भी टिड्डियों के हमले जारी हैं। विशेषज्ञों ने आने वाले खतरे के बारे में चेताया है...
नई दिल्ली, जेएनएन। राजस्थान में जैसलमेर व रामदेवरा में सरहद पार से पाकिस्तानी टिड्डियां फिर घुस आई हैं। इस बीच राजस्थान के कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि इस माह टिड्डियों का हमला और भीषण हो सकता है। इससे बचाव के लिए कई स्तर पर तैयारी की जरूरत है। वहीं मध्य प्रदेश में टिड्डियों के हमले जारी हैं। मध्य प्रदेश में भगाने के बाद भी टिड्डी दल फिर लौट आया, जिससे किसान सहित आम लोग परेशान हैं। कृषि विभाग ने कीटनाशक का दो बार छिड़काव किया, जिससे सैकड़ों टिड्डियां मारी गई हैं।
कीटनाशक ही विकल्प
जयपुर में सोमवार को हुई बैठक में टिड्डियों के हमलों के कारणों और आने वाले समय में इन हमलों की गंभीरता जैसे विषयों पर मंथन एवं उनके प्रकोप से निपटने की आगे की रणनीति की दिशा तय करने के लिए कीट विज्ञानियों, कीट विज्ञान से जुड़े शिक्षाविदों, कृषि, पशुपालन एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि टिड्डियों के अंडे देने की स्थिति में आने में 10-15 दिन ही शेष हैं, इसलिए रेतीली मिट्टी वाले स्थानों पर विशेष नजर भी रखनी होगी। साथ ही टिड्डियों के खात्मे के लिए कीटनाशकों की निर्धारित मात्रा का उपयोग किया जाना चाहिए।
खरीफ की फसलों पर खतरा
राजस्थान कृषि अनुसंधान केंद्र के कीट विज्ञान के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ.एएस बलोदा का कहना था कि टिड्डी दलों से निपटने के लिए दवाओं के उपयोग के अलावा कोई विकल्प अभी नहीं है, लेकिन दवाओं की मात्रा विशेषज्ञों के निर्देशन में ही डाली जानी चाहिए। जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना था कि टिड्डियां जल्द ही अंडे देने की स्थिति में आ जाएंगी और ऐसा हुआ तो इन अंडों से निकला निम्फ (फाका) खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है।
कीटनाशकों से भी खतरा
विशेषज्ञों का मानना था कि जिस जगह टिड्डी दल के खात्मे के लिए कीटनाशक छिड़के जाएं वहां कम से कम 10 दिन पशुओं को नहीं चराना चाहिए। अन्यथा ये कीटनाशक भोजन श्रृंखला में शामिल हो सकते हैं। जोबनेर कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर एवं कीट विभाग के अध्यक्ष केसी कुमावत ने कहा कि इसके बारे में किसानों एवं सामान्य जन को अधिक से अधिक जानकारी देने की जरूरत है ताकि फसलों को बचाया जा सके और उनके मूवमेंट की जानकारी भी मिल सके।
जून में बढ़ सकता है प्रकोप
विशेषज्ञों की मानें तो जून में टिड्डियों का प्रकोप बढ़ सकता है। इनसे निपटने के लिए राज्य स्तर पर योजना एवं मॉनिटरिंग की जरूरत है। गौरतलब है कि राजस्थान के 21 जिले अब तक टिड्डियों के हमले की चपेट में आ चुके हैं और टिड्डियों के दल जयपुर में भी देखे गए हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान से आई टिड्डियों ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित है।
मध्य प्रदेश में टिड्डी दल का हमला
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखंड में मंगलवार को दूसरी बार टिड्डी दल ने दो गांवों में हमला कर दिया। सुबह पांच बजे कृषि विभाग के दल ने कीटनाशक छिड़का तो कुछ टिड्डियां मर गई व कुछ उड़ गई, लेकिन दोपहर बाद वे लौटकर आई तो कृषि विभाग ने दोबारा कीटनाशक छिड़का। इससे सैकड़ों टिड्डियां मारी गई।
सरहद पार से फिर आई टिड्डियां
राजस्थान के जैसलमेर और रामदेवरा में सोमवार को बड़ी संख्या में टिड्डियां देखी गई। टिड्डी नियंत्रण अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि जून और जुलाई में होने वाले संभावित टिड्डी हमलों से बचाव के प्रयास किए जा रहे हैं। नियंत्रण के लिए आयातित उपकरणों की पहली खेप जून में आने की संभावना है। अभी ड्रोन की मदद से रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो हेलिकॉप्टर भी इस्तेमाल किए जाएंगे।
ओडिशा में भी संकट
टिड्डी दल ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की ओर बढ़ रहा है। यह दल ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से मात्र 350 किलो मीटर की दूरी पर छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के भरतपुर प्रखंड के मानिकतरई और ज्वारिटोला गांव पहुंच चुका है। एक दिन में डेढ़ सौ किलोमीटर का सफर तय करने वाला टिड्डी दल कभी भी पश्चिम ओडिशा में प्रवेश कर सकता है। हालांकि, हवा की गति अगर विपरीत रही तो टिड्डियों के दल का रूख आंध्र प्रदेश या बिहार की ओर हो सकता है।