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किसी भी देश में खाद्यान्‍न संकट का कारण बन सकता है टिड्डियों का हमला, खतरे में है फसल

टिड्डियों के खतरे से निपटने के लिए भारत और पाकिस्‍तान के अधिकारियों की बैठकें होती हैं। इनको खत्‍म करने के लिए छिड़काव भी किया जाता है। लेकिन इसबार कुछ काम नहीं आ रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 04:13 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 04:13 PM (IST)
किसी भी देश में खाद्यान्‍न संकट का कारण बन सकता है टिड्डियों का हमला, खतरे में है फसल
किसी भी देश में खाद्यान्‍न संकट का कारण बन सकता है टिड्डियों का हमला, खतरे में है फसल

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। हजारों किमी दूरी तय करने के बाद टिड्डियों का बड़ा दल दिल्‍ली-एनसीआर समेत कुछ दूसरे राज्‍यों में फसलों पर कहर बरपा रहा है। ये देखने में भले ही छोटे होते हैं लेकिन इनकी हकीकत इनके आकार से कहीं ज्‍यादा भयानक होती है। राजस्‍थान, पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश के बाद अब इनका रुख दिल्‍ली की तरफ की तरफ हो गया है। टिड्डियों का ये दल किसी देश के लिए कितनी बड़ी आफत बन सकता है इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि इस पर निगाह रखने के लिए टिड्डी चेतावनी संगठन (Locust Warning Organization) तक बना हुआ है। इतना ही नहीं कृषि मंत्रालय भी इस पर पूरी निगाह रखता है और समय समय पर इसको लेकर बैठकें भी होती हैं। आपकी जानकारी के लिए यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्‍तान की तरफ से आने वाले इन टिड्डी दलों को खत्‍म करने या रोकने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों की बैठकें भी होती हैं।

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अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 के बीच ही ये टिड्डी दल राजस्‍थान के 12 जिलों की करीब 7 लाख हैक्टेयर से अधिक भू-भाग पर खड़ी फसलों को चट कर गया था। आलम ये है कि किसानों द्वारा सूचित किए जाने के बाद कृषि विभाग इन्हें खत्‍म करने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करता है। इन दलों के सामने फसल और या पेड़ सभी कुछ चौपट हो जाते हैं। अकेले राजस्‍थान में ही इनके 1964 से 2019 तक 19 हमले किए। इस बार राजस्‍थान में जिल टिड्डियों के दलों ने हमला किया वो पीले और पिंक कलर के थे। हालांकि इस बार का ये हमला पहले हुए हमलों से सबसे बड़ा बताया गया है। इससे पहले इन टिड्डी दलों के हमलों को अक्टूबर-नवंबर तक कंट्रोल कर लिया जाता था। राजस्‍थान में इनसे बचाव के लिए कृषि विभाग ने जनवरी तक करीब पौने 4 लाख हैक्टेयर में टिड्डियां मारने के लिए दवा का छिड़काव किया था। इस बार इन्‍हें खत्‍म करने के लिए कृषि मंत्रालय (ministry of agriculture) की तरफ से ड्रोन का इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। इसके लिए डीजीसीए (Directorate General of Civil Aviation) की अनुमति भी मिल गई थी, लेकिन इसके बाद भी ये दल इतने राज्‍यों में अपनी मौजूदगी दर्शा चुका है। टिड्डी चेतावनी संगठन की मानें तो इस बार इन टिड्डी दल ने पहले से जल्‍दी हमला कर दिया है।

आपको बता दें कि ये टिड्डी दल मरुस्थल में पनपते हैं। एक मादा 108 अंडे देती है। थार मरुस्थल के बड़े हिस्‍से में ये पनपते हैं और भारत में आ जाते हैं। इनके प्रजनन की बात करें तो जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक का वक्‍त इनके प्रजनन के लिए अनुकूल होता है। टिड्डियों का दल आमतौर पर हवा की दिशा में उड़ता है। इनके छोटे से दल में भी लाखों की संख्‍या में टिड्डियां होती हैं, वहीं यदि बड़े दल की बात करें तो इनकी संख्‍या अरब तक हो सकती है। वयस्क टिड्डी झुंड एक दिन में 150 किमी तक हवा के साथ उड़ सकता है। इनका एक छोटा झुंड भी एक दिन में लगभग 35,000 लोगों जितना खाना खा लेता है। इनके नियंत्रण के लिए सरकार की तरफ से मैलाथियान के छिड़काव किया जाता है। इनके प्रकोप से भारत ही परेशान नहीं रहता है बल्कि अफ्रीकी देश भी इनसे हर साल ही लड़ाई लड़ते हैं।

ये किसी भी देश में खाद्यान्‍न का संकट पैदा कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक, एक औसत टिड्डी दल ढाई हजार लोगों का पेट भरने लायक अनाज चट कर सकता है। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2003-05 के बीच में भी टिड्डों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई थी जिससे पश्चिमी अफ्रीका की खेती को ढाई अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। यूएन और कृषि संगठन के मुताबिक़, रेगिस्तानी टिड्डे दुनिया भर में दस में से एक व्यक्ति की जिंदगी को प्रभावित करते हैं। इसकी वजह से ही इन्‍हें दुनिया के सबसे खतरनाक कीट की श्रेणी में रखा जाता है। यूएन के मुताबिक इनके बड़े हमलों को प्‍लेग कहा जाता है। इसका मतलब है एक साल से ज्‍यादा समय तक टिड्डों के भारी और व्यापक हमले।

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