मध्य प्रदेश से टिड्डी दल ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का किया रुख, किसानों के लिए बनी मुसीबत
मध्य प्रदेश से टिड्डियों के झुंड सीधी-सिंगरौली होते हुए उत्तर प्रदेश और बैतूल के रास्ते महाराष्ट्र प्रवेश कर गए हैं।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। ईरान, पाकिस्तान से होते हुए टिड्डी दल राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश के साथ महाराष्ट्र में प्रवेश कर गया है। पाकिस्तान में टिड्डी नियंत्रण के लिए कारगर कदम न उठाए जाने की वजह से इस बार टिड्डी दल का आकार पिछले सालों की तुलना में बड़ा है। चूंकि लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में रहे और सूचनाएं समय पर नहीं मिल पाई। इस कारण टिड्डियों का मूवमेंट बढ़ा और मध्य प्रदेश में बड़े समूह में टिड्डियों ने प्रवेश किया।
मध्य प्रदेश के जिलों में नियंत्रण के लिए कीटनाशक का छिड़काव लगातार किया जा रहा है। इस कार्रवाई में बचे हुए टिड्डियों के झुंड सीधी-सिंगरौली होते हुए उत्तर प्रदेश और बैतूल के रास्ते महाराष्ट्र प्रवेश कर गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के आते-आते टिड्डी पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाएगा। प्रदेश के 30 से ज्यादा जिले टिड्डियों से प्रभावित हैं।
केंद्र व राज्य की टीमें रख रहीं नजर
मंदसौर और नीमच के रास्ते मध्य प्रदेश में आए टिड्डी दल पर केंद्र और राज्य सरकार की टीमें लगातार नजर रख रही हैं। कृषि विभाग के नोडल अधिकारी अविनाश चतुर्वेदी ने बताया कि टिड्डी दल ईरान से चलता है और पाकिस्तान होते हुए राजस्थान में प्रवेश करता है। केंद्र सरकार इस पर नजर रखती है और नियंत्रण के लिए काम भी करती है। कोशिश यही रहती है कि राजस्थान में ही कीटनाशकों का उपयोग कर इन्हें समाप्त कर दिया जाए। इस बार लॉकडाउन होने के कारण लोग घरों में रहे तो समय पर पर्याप्त सूचनाएं नहीं मिलने के कारण टिड्डी दल आगे बढ़ते गए। मध्यप्रदेश में मंदसौर और नीमच के रास्ते प्रवेश किया और सीधी, सिंगरौली, सतना, बैतूल तक पहुंच गया।
हालांकि, मध्य प्रदेश में प्रभावी नियंत्रण व्यवस्था के कारण अब दल झुंड में तब्दील हो गए हैं। यहां इनसे मूंग, सब्जियां, उद्यानिकी फसलों को नुकसान पहुंचा है। एक दिन में 200 किमी का सफर केंद्र सरकार के सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी रवि कुमार छापरे ने बताया कि टिड्डियों का मूवमेंट हवा की दिशा और गति पर निर्भर होता है। तेज हवा होने पर यह एक दिन में 150 से 200 किलोमीटर तक चले जाते हैं और कई बार यह वापस भी आ जाते हैं।
पिछले साल भी टिड्डियां आई थीं, लेकिन इस बार परिस्थितियां उनके अनुकूल हैं, क्योंकि यहां मानसून अच्छा रहा है। मप्र के इन जिलों में धमक मंदसौर, नीमच, रतलाम, इंदौर, उज्जैन, देवास, खंडवा, धार, सीहोर, होशंगाबाद, सिवनी, हरदा, बैतूल, सीधी, सिंगरौली, रायसेन, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, मुरैना, दमोह, ग्वालियर, शिवपुरी, आगर-मालवा, शाजापुर।