Move to Jagran APP

जिन शहरों को इन्‍होंने बनाया और बसाया वहीं नहीं कर सके इनके भरण पोषण का इंतजाम

लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव मजदूरों पर पड़ा है। इन्‍होंने जिन शहरों में ऊंची-ऊंची इमारते बनाकर उन्‍हें सजाया वहीं आज इनका भार नहीं उठा सके।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 11:32 AM (IST)
जिन शहरों को इन्‍होंने बनाया और बसाया वहीं नहीं कर सके इनके भरण पोषण का इंतजाम
जिन शहरों को इन्‍होंने बनाया और बसाया वहीं नहीं कर सके इनके भरण पोषण का इंतजाम

लक्ष्मीकांत द्विवेदी। लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का एक कारगर उपाय है। भारत सरकार ने इस उपाय को शुरू में ही अपनाया, जिसका परिणाम है कि भारत ने लाखों लोगों को कोरोना संक्रमित होने से बचाया है। इस लॉकडाउन समय के दौरान भारत ने कई बेड वाले अस्पताल, आइसीयू और वेंटीलेटर्स को तैयार किया जो कि कठिन समय में कोरोना के मरीजों के लिए काम आ सके।

loksabha election banner

इसका दूसरा पहलू बड़ा ही भयानक है, जो कि लोगों के जीवनयापन से जुड़ा है। कोरोना वायरस के कारण सरकार द्वारा लिए गए लॉकडाउन के निर्णय का असर सबसे अधिक रोज कमाने और खाने वाले प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। महानगरों से होने वाला पलायन लॉकडाउन के शुरुआती दिनों से ही जारी है। आज यह जरूर सोचने पर मजबूर कर रहा है कि ऐसा शहर जहां मजदूरों ने अपने पसीने से शहर को बनाया और आज वो शहर एक-दो महीने के लिए भरण पोषण करने मे असमर्थ है। इसी बीच इतनी बड़ी संख्या में होने वाले मानवीय पलायन से गांवों में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बन गया है। आप सभी ने महसूस किया होगा कि इस खतरे को गांव के लोगों ने अपनी सूझबूझ से अभी तक संभाला है।

गांव अभी भी अहम है बेरोजगारी की समस्या का समाधान देने के लिए। प्राचीन समय में गांव स्वावलंबी हुआ करते थे। हर एक गांव में पर्याप्त काम करने का अवसर था। जैसे कोई खेत में, कोई मिट्टी के बर्तन बनाने में, कोई सब्जियां उगाने में, कोई बाल काटने में इत्यादि। आज के आधुनिक युग में लोगों को बिना रुपये के काम करना पसंद नहीं है। इसलिए हर परंपरा खत्म सी हो गई और लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे। पिछले तीन महीनों में बेरोजगारी की दर तीन गुना बढ़ गयी है और करीब 12 से 13 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई हैं। ऐसे में भारत के सामने इतने लोगों का भरण पोषण की भी समस्या है।

प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के अतिरिक्त भारत को आत्मनिर्भर बनाने की भी बात कही है। उनके सपने को साकार करने के लिए कुछ मूलभूत परिवर्तन करना होगा। सबसे महत्वपूर्ण काम है कि कृषि को आधुनिक रूप देना। मैं पंजाब में घूमा हूं और इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों के परिप्रेक्ष्य में देखता हूं तो दोनों प्रदेशों में कृषि पिछड़ी दिखती है। इसे नया प्रारूप देना होगा, मशीनों को उपयोग में लाना होगा, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़े।

दूसरा मुख्य जोर मनरेगा पर देना होगा जिससे गरीब लोगों को मजदूरी के लिए बाहर न जाना पड़े। मनरेगा के काम को आधुनिक रूप देना होगा जिसमें मछली पालन, कृषि में टेक्नोलॉजी विकसित करना। उन्नतशील खेती के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना होगा। छोटे-बड़े उद्योगों को लाना होगा ताकि भारत का ग्रामीण क्षेत्र अपने में पूर्ण विकसित हो सके।

(लेखक अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान, मुंबई में सहायक प्रोफेसर हैं) 

ये भी पढ़ें:- 

कोरोना की मार से हर कोई बेहाल! भारत में 5 दिनों में 18 फीसद तक बढ़ गई बेरोजगारी की दर

एयरोबायोसिस स्टार्ट अप ने तैयार किया कम कीमत वाला ‘जीवन लाइट’ वेंटिलेटर, एप से होगा संचालित

एंट्रेंस, एग्‍जाम को लेकर छात्रों में मन में हैं कई सवाल, लेकिन पॉजिटिव रहना ही है समय की मांग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.