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Lockdown effect: लॉकडाउन के 60 दिनों में बदली दिनचर्या, पेट रोग के मामलों में 80 फीसद तक कमी

कोरोना के असर व संक्रमण से बचाव के लिए इंदौर में सभी दुकानें व होटलें बंद हैं। ऐसे में लोगों की खान-पान संबंधी आदतें बदल चुकी हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 10:00 PM (IST)
Lockdown effect: लॉकडाउन के 60 दिनों में बदली दिनचर्या, पेट रोग के मामलों में 80 फीसद तक कमी
Lockdown effect: लॉकडाउन के 60 दिनों में बदली दिनचर्या, पेट रोग के मामलों में 80 फीसद तक कमी

अश्विन बक्शी, इंदौर।  लॉकडाउन हुए 60 दिन से अधिक का समय पूरा हो चुका है। कोरोना के असर व संक्रमण से बचाव के लिए इंदौर में सभी दुकानें व होटलें बंद हैं। ऐसे में लोगों की खान-पान संबंधी आदतें बदल चुकी हैं। इंदौर में पहले 35 से 38 फीसद ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचते थे, जो खान-पान या मोटापे से ग्रस्त थे। अब पेट रोग के 80 फीसद तक केस डॉक्टरों के पास कम आने लगे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सभी लोग घरों में सामान्य भोजन ही कर रहे हैं। इस कारण पेट रोगों में कमी आई है।

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पेट रोग विशेषज्ञ भी मानते हैं कि बीते दो माह में उनके पास मरीजों के कॉल आने की संख्या काफी कम हुई है। इसकी मुख्य वजह कोरोना काल के दौरान घर पर शुद्ध भोजन करना है। घरों में पोहे, समोसे, कचोरी सहित अन्य सामग्री भी बनाई जा रही है। इसके बाद भी पेट संबंधी रोगों में कमी आई है। एक वजह यह भी है कि खाली समय में कई लोग योगासन व व्यायाम भी करने लगे हैं। अधिक मोटापा भी संक्रमण की वजह इंदौर के गेस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. अजय जैन ने बताया कि बीमार व्यक्तियों में कोरोना का संक्रमण होने की आशंका अधिक रहती है। ऐसे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं जो मोटे हैं।

मोटे लोग मधुमेह या उच्च रक्तचाप का शिकार होते रहते हैं। मोटापा लिवर की बीमारी का भी एक प्रमुख कारण है। इसलिए कोरोना संक्रमण से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली व मोटापा कम करना जरूरी है।

80 प्रतिशत केस हुए कम

मप्र के सबसे बड़े महाराजा यशवंत राव शासकीय अस्पताल के गेस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. अतुल शेंडे ने बताया कि अप्रैल, मई व जून में पेट संबंधी समस्याएं अधिक सामने आती हैं क्योंकि स्कूलों में गर्मी छुट्टियों की वजह से लोग परिवार समेत बाहर घूमने ज्यादा जाते हैं। बाहर हर प्रकार का भोजन व पानी मिलता है, जिससे पेट के संक्रमण, पीलिया व फूड पॉइज¨नग की समस्या के केस अधिक आते हैं। लेकिन इस बार इनमें 80 फीसद तक कमी आई है। इसका सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन रहा। लोगों के लिए लाइफ स्टाइल बदलने का यह अच्छा समय है।

इन आदतों को बदलने का करें प्रयास

फास्ट फूड : बाजार में उपलब्ध फास्ट फूड नूडल्स, पानीपुरी, चाट, पेटिस, पकौड़े, सैंडविच, छोले टिकिया, समोसा, पोहा आदि का नियमित सेवन मोटापे के साथ ही अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है।

जंक फूड : प्रसंस्करित पदार्थ (जंक फूड) भी सेहत पर विपरीत असर डालते हैं। इनमें तैयार चिप्स, शीतलपेय, बर्गर, पिज्जा सहित डिब्बा बंद पदार्थ शामिल हैं। इनके सेवन से बचना जरूरी है।

बाहर खाना : हर सप्ताह या हमेशा बाहर होटलों व रेस्त्रां में खाने की आदत को बदलना होगा। इससे सेहत के साथ ही संक्रमण से भी बचा जा सकता है। 

इसे भी जानें

-38 फीसद लोग ऐसे हैं जो पेट संबंधी समस्याओं के कारण पहुंचते हैं डॉक्टर के पास 

-40 फीसद बच्चे जंक फूड या फास्ट फूड के कारण हो रहे मोटापे का शिकार 

-70 फीसद लोग बाहर निकलने पर किसी भी खाद्य पदार्थ का करते हैं सेवन 


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