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स्थानीय युवाओं का आतंकवाद में शामिल होना चिंताजनक : जन. रावत

नए सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को आतंकवादी गतिविधियों में कश्मीरी युवाओं की ब़़ढती भागेदारी पर चिंता व्यक्त की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 05 Jan 2017 06:50 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jan 2017 07:27 PM (IST)
स्थानीय युवाओं का आतंकवाद में शामिल होना चिंताजनक : जन. रावत

नई दिल्ली, प्रेट्र। कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ रणनीति में बदलाव लाने की योजना बनाई जा रही है। नए सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को आतंकवादी गतिविधियों में कश्मीरी युवाओं की ब़़ढती भागेदारी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ लोगों को निशाना बनाने की बजाय अब युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करने वाले 'भ्रामक' प्रचार को निशाना बनाया जाएगा।

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कश्मीरी आतंकवाद से निपटने का लंबा अनुभव रखने वाले जनरल बिपिन रावत ने एक साक्षात्कार में कहा कि वंचित किए जाने की भावना के कारण युवा नक्सलवादी गतिविधियों में शामिल होते हैं, लेकिन कश्मीर में मामला ऐसा नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भ्रामक प्रचार और मध्य-पूर्व की घटनाओं ने कुछ स्थानीय युवाओं को प्रभावित किया है। यही वजह है कि शिक्षित युवाओं का आतंकवाद की ओर ज्यादा झुकाव हो रहा है।

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जनरल रावत ने कहा, 'जब स्थानीय युवा बंदूक उठाते हैं और आतंकवाद में शामिल होते हैं तो यह चिंता की बात है, क्योंकि हमारे ही देश के युवा आतंकवाद में शामिल हो रहे हों तो यह सुखद स्थिति नहीं हो सकती। मुझे लगता है कि लोगों को लक्ष्य की तरह देखने की बजाये हमें उनसे बात करने, सहानुभूति जताने और भ्रामक प्रचार के प्रभाव को मिटाने की जरूरत है। हमेशा कहा जाता है कि आतंकवाद में लोग ही केंद्र बिंदु होते हैं, लेकिन मैं इस केंद्र बिंदु को बदलना चाहता हूं। मेरा कहना है कि प्रचार ही आतंकवाद को ब़़ढावा दे रहा है इसलिए इसे ही केंद्र बिंदु होना चाहिए। लिहाजा आतंकवाद को ब़़ढावा देने वाले प्रचार को ही निशाना बनाया जाना चाहिए।'

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जनरल रावत ने बताया कि कुछ अनाधिकृत इस्लामी संगठन इस्लाम की व्याख्या बेहद गलत तरीके व तथ्यों के साथ कर रहे हैं और उसे सोशल मीडिया, इंटरनेट व अन्य उपलब्ध माध्यमों से फैलाया जा रहा है। आधिकारिक आंक़़डों के मुताबिक, पिछले साल आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से अब तक 59 स्थानीय लोग आतंकी गुटों में शामिल हो चुके हैं। जबकि सुरक्षा विशेषषज्ञों का कहना है कि यह संख्या इससे कहीं ज्यादा है।


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