11 मिनट में एयरपोर्ट से आइएलबीएस पहुंचा लिवर
भारी यातायात वाले 10 किमी का मार्ग तय करते हुए लिवर को महज 11 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 से वसंत कुंज स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आइएलबीएस) अस्पताल में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया गया।
नई दिल्ली, अरविंद कुमार द्विवेदी। डॉक्टरों की टीम और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मेहनत एक बार फिर रंग लाई। भारी यातायात वाले 10 किमी का मार्ग तय करते हुए लिवर को महज 11 मिनट में दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 से वसंत कुंज स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आइएलबीएस) अस्पताल में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया गया।
यह लिवर लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) से लाया गया। आइएलबीएस में इसे एक व्यक्ति को ट्रांसप्लांट किया गया।
पिछले दिनों लखनऊ में 30 वर्षीय एक युवक ट्रक की चपेट में आ गया था। केजीएमयू ले जाने पर वहां डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। युवक के घरवालों ने उसके अंगदान की इच्छा जताई तो डॉक्टरों ने उसके शरीर के विभिन्न अंगों को जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट कर दिए।
मंगलवार सुबह 11 बजे केजीएमयू से आइएलबीएस में लिवर दान करने के लिए फोन आया। आइएलबीएस में भर्ती दिल्ली के 53 वर्षीय व्यक्ति को लिवर की जरूरत थी। लिवर लेने आइएलबीएस की ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर विभूति शर्मा व डॉ. श्रीधर फ्लाइट से बुधवार सुबह सात बजे केजीएमयू पहुंचे।
सुबह आठ बजे शुरू हुआ ऑपरेशन
केजीएमयू में लिवर निकालने के लिए सुबह आठ बजे ऑपरेशन शुरू हुआ जो तीन घंटे तक चला। साढ़े 12 बजे लिवर लेकर वे केजीएमयू से चले और एक बजे एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से 1.55 की फ्लाइट से दिल्ली रवाना हुए और 3.10 मिनट पर टी-3 पहुंचे।
टी-3 से लेकर आइएलबीए तक के 10 किमी के रास्ते में दिल्ली यातायात पुलिस ने एंबुलेंस को ग्रीन कॉरिडोर प्रदान किया, जिससे यह दूरी महज 10 मिनट में तय कर ली गई। एंबुलेंस को टी-3 से महरौली-महिपालपुर रोड- रेयान इंटरनेशनल स्कूल-मसूदपुर होते हुए वसंत कुंज स्थित आइएलबीएस पहुंचाया गया। बता दें कि इस रूट पर दिन में यातायात का भारी दबाव रहता है।
50 पुलिसकर्मी लगे
विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) डॉ. मुक्तेश चंदर ने बताया कि आइएलबीएस की ओर से ग्रीन कॉरिडोर के आग्रह पर 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को पूरे रूट पर तैनात किया गया था। सभी क्रास यातायात को इस दौरान रोक दिया गया था। यातायात को एक किनारे करके एक लेन एंबुलेंस के लिए खाली करवाई गई थी। दो यातायात निरीक्षक एंबुलेंस को पायलट कर रहे थे।
लखनऊ में नहीं मिला था ग्रीन कॉरिडोर
अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने बताया कि लखनऊ में भी उन्होंने केजीएमयू से एयरपोर्ट तक जाने के लिए वहां के प्रशासन से ग्रीन कॉरिडोर की मांग की थी, लेकिन वहां उन्हें यह सुविधा नहीं दी जा सकी। यदि वहां पर कॉरिडोर मिल जाता तो उनका थोड़ा समय बच सकता था। हालांकि उन्हें यातायात पुलिस की ओर से थोड़ी सहायता मिली थी, जिससे उन्होंने एयरपोर्ट तक का 25 किमी का रास्ता करीब 30 मिनट में तय कर लिया था।
आंसू से ज्यादा तीन परिवारों की मुस्कराहट को तरजीह दी
अपने से तीन साल बड़े पति जगरू को खो चुकी 27 वर्ष की संजू के लिए पति के अंगों का दान करना आसान निर्णय नहीं था, लेकिन उसके हौसले को सलाम। संजू ने अपने आंसू से ज्यादा तीन परिवारों की मुस्कराहट को तरजीह दी। सड़क दुर्घटना में घायल बाराबंकी निवासी जगरू को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लाया गया, यहां पर एक दिन के इलाज के बाद वह ब्रेन डेड हो गए। डाक्टरों ने अंगदान के बारे में बताया।
संजू ने अपने ससुर पूर्वीदीन से सलाह कर इसके लिए हामी भर दी। बुधवार को जगरू की दो किडनियों का ट्रांसप्लांट एसजीपीजीआई में भर्ती 40 वर्षीय मुन्नालाल और 47 वर्षीय पूनम श्रीवास्तव में किया गया। लिवर विशेष व्यवस्था में दिल्ली भेजा गया। लिवर का प्रत्यारोपण दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलिरी साइंसेस (आइएलबीएस) में किया गया। संजू की एक छह वर्षीय बच्ची है। पति के न रहने पर उसे अकेले लंबा सफर तय करना है।